दीपोत्सव में एक बार फिर से अयोध्या रचेगा इतिहास, बनेंगे दो गिनीज वर्ल्ड बुक रिकॉर्ड

Ayodhya : अयोध्या में इस बार का दीपोत्सव कई मायनों में ऐतिहासिक होने जा रहा है। प्रदेश सरकार ने इस आयोजन को और भी भव्य और दिव्य बनाने के लिए व्यापक तैयारियों की है। इस बार दीपोत्सव-2025 में दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने का लक्ष्य रखा गया है, जो इस समारोह को खास बना रहा है।

सबसे पहला रिकॉर्ड 26 लाख 11 हजार 101 दीपों के प्रज्वलन का बनाया जाएगा, जिसमें लाखों दीपकों को एक साथ जलाकर एक नई मिसाल कायम की जाएगी। वहीं, दूसरा रिकॉर्ड सरयू आरती में 2100 दीपदान कर स्थापित किया जाएगा, जिसमें स्वयं सहायता समूह की महिलाएं, संस्कृत विद्यालयों के छात्र, और बड़ी संख्या में वालंटियर्स भाग लेंगे। इस विशेष आयोजन का उद्देश्य न सिर्फ धार्मिक उत्साह को बढ़ावा देना है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं को भी रेखांकित करना है।

इस बार दीपोत्सव में कई नए प्रयोग और तकनीकी नवाचार भी किए गए हैं। सबसे खास आकर्षण का केंद्र शानदार ड्रोन शो है, जिसमें पिछले साल के मुकाबले दोगुने यानी 1100 ड्रोन आसमान में उकेरेंगे। ये ड्रोन विभिन्न आकृतियों और संदेशों को दर्शाते हुए इस पर्व को और भी दर्शनीय बनाएंगे।

भीड़ प्रबंधन के लिए इस बार अत्याधुनिक तकनीक का सहारा लिया गया है। AI आधारित कैमरों की मदद से भीड़ की हेड काउंटिंग की जाएगी, ताकि कार्यक्रम सुचारू रूप से और बिना किसी व्यवधान के संपन्न हो सके।

इसके अतिरिक्त, स्थानीय उत्पादों की भव्य प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी, जिसमें स्वयं सहायता समूह, ओडीओपी, और संस्कृति विभाग की ओर से अयोध्या जिले के पारंपरिक और हस्तशिल्प उत्पाद प्रदर्शित किए जाएंगे। इससे न सिर्फ स्थानीय कलाकारों और उद्यमियों को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि पर्यटकों और आगंतुकों को भी उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत का अनुभव होगा।

उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृत विभाग ने दीपोत्सव को भव्य और दिव्य बनाने के लिए अपनी कमर कस ली है। रोजाना आयोजित बैठकों में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं, जिनमें इस बार दीपोत्सव में दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराने का फैसला शामिल है।

यह दीपोत्सव नौवें वर्ष में है, और यूपी सरकार हर साल अपने पिछले रिकॉर्ड को तोड़कर नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। पिछली बार की तुलना में इस बार अधिक दीप जलाने और आरती के दौरान 2100 दियों का दीपदान करने का लक्ष्य है। हर साल की तरह, इस वर्ष भी यह पर्व नई उपलब्धियों और संस्कृतिक परंपराओं का प्रतीक बन रहा है, जो न सिर्फ धार्मिक बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी गर्व का विषय है।

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