
Ramlala Surya Tilak : भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण पर्व रामनवमी के दिन भगवान रामलला का जन्मदिन है। इस बार एक अनोखा और वैज्ञानिक प्रयोग होने जा रहा है। रामलला का सूर्य तिलक इस बार 6 अप्रैल को दोपहर 12 बजे किया जाएगा। मंदिर ट्रस्ट के अनुसार, यह व्यवस्था स्थायी हो गई है और अगले 19 वर्षों तक रामजन्मोत्सव पर सूर्य की किरणें रामलला का अभिषेक करेंगी।
इस विशेष तिलक की व्यवस्था को “सूर्य तिलक मैकेनिज्म” का नाम दिया गया है, जिसे आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों की टीम ने तैयार किया है। बताया गया है कि यह प्रणाली 75 मिमी के गोलाकार रूप में सूर्य की किरणों को भगवान राम की मूर्ति के माथे पर तीन से चार मिनट तक गिराने में सक्षम होगी।
कैसे होगा राम लला का सूर्य तिलक
सूर्य तिलक के लिए उपयोग की जाने वाली प्रणाली में एक ऑप्टो मैकेनिकल सिस्टम शामिल है। इसमें मंदिर के तीसरे तल पर स्थित दर्पण का उपयोग किया जाएगा, जहां सूर्य की किरणें पड़ेंगी। ये किरणें 90 डिग्री पर परावर्तित होकर एक पीतल के पाइप के माध्यम से आगे बढ़ेंगी। पाइप के अंत में एक अन्य दर्पण से एक बार फिर से किरणें परावर्तित होकर नीचे की दिशा में चलेंगी। इस प्रक्रिया के दौरान तीन लेंसों से गुज़रते हुए किरणों की तीव्रता बढ़ाई जाएगी। इसके बाद, कीरणें लंबवत पाइप के दूसरे छोर पर लगे दर्पण पर पड़कर फिर से 90 डिग्री पर मुड़ेंगी और अंततः रामलला के मस्तक पर पहुंचेगी।
सीबीआरआई (केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान), रुड़की के वैज्ञानिकों ने इस प्रक्रिया को इस तरह से डिजाइन किया है कि हर रामनवमी को दोपहर 12 बजे यह तिलक समारोह आयोजित होगा। यह प्रणाली बिना किसी विद्युत, बैटरी या लोहे के तत्वों का उपयोग किए काम करेगी, जो इसे और भी विशेष बनाता है।
चंद्र कैलेंडर और राम नवमी
राम नवमी की तारीख चंद्र कैलेंडर के अनुसार निर्धारित होती है। भारतीय खगोलीय भौतिकी संस्थान, बंगलूरू के अनुसंधान के अनुसार, अगले 19 वर्षों तक सूर्य तिलक का समय हर साल बढ़ता जाएगा। 2044 में फिर से 2025 की तरह ही रामनवमी की तिथि पर तिलक का समय पुनरावृत्त होगा। इस प्रक्रिया का आधार चंद्र व सौर कैलेंडरों के बीच के जटिल अंतर को समझने में सहायता करता है।