- दवा खाने से नजदीक नहीं आयेगा फाइलेरिया- डीएमओ
- 9 ब्लॉकों में 10 फरवरी से घर-घर खिलाई जाएगी दवा
- “रोगी हितधारक समूह” चौपाल लगाकर बता रहे दवा का महत्व
बाराबंकी। फाइलेरिया मच्छरों के काटने से होने वाली एक लाइलाज बीमारी है। इसमें हाथ, पांव और महिलाओं के स्तनों में भारी सूजन आ जाती है, जो आजीवन रहती है। यह बीमारी किसी स्वस्थ व्यक्ति को न हो इसके लिए सरकार प्रभावित क्षेत्रों में एमडीए (मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) अभियान चलाकर घर-घर बचाव की दवा का सेवन कराती है। इस बार यह अभियान 10 फरवरी से जनपद के नौ ब्लॉकों में चलाया जाएगा। इसके लिए रोगी हितधारक समूह के सदस्य चौपाल लगाकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं।
देवा ब्लॉक के शाहपुर गांव में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए एक जागरूकता अभियान आयोजित किया गया। ग्वारी आयुष्मान आरोग्य मंदिर के पीएसपी (पेशेंट स्टेकहोल्डर प्लेटफॉर्म) यानी “रोगी हितधारक समूह” से जुड़े फाइलेरिया मरीजों ने अपनी आपबीती सुनाकर लोगों को दवा सेवन का महत्व बताया। इस कार्यक्रम की मेजबानी राशन डीलर जयकरन ने की, जो स्वयं पीएसपी के सदस्य हैं।
अनीता ने बताई अपनी आपबीती-
पीएसपी की सदस्य अनीता (19), जो पिछले 3 वर्षों से फाइलेरिया की समस्या से जूझ रही हैं, इनके दाएं पैर में सूजन है। उन्होंने इस कार्यक्रम में अपनी कहानी साझा की और बताया कि शुरुआत में उनके पैर में सूजन आई, जिसे उन्होंने सामान्य दर्द समझकर नजरअंदाज कर दिया। लेकिन समय के साथ समस्या गंभीर होती गई। काफी इलाज के बाद भी यह ठीक नहीं हुई। उन्होंने कहा, “अगर मैंने समय पर फाइलेरिया की दवा ली होती, तो आज इस समस्या का सामना न करना पड़ता। अब मैं चाहती हूं कि कोई और मेरी तरह इस पीड़ा से न गुजरे। सभी को एमडीए अभियान के दौरान दवा जरूर लेनी चाहिए।”
कार्यक्रम में कुल 48 ग्रामीणों ने भाग लिया। आशा कार्यकर्त्ता नेहा ने बताया कि इनमें 8 लोग ऐसे थे जिन्होंने पिछले अभियान में दवा सेवन नहीं किया था और एक व्यक्ति ने कभी दवा का सेवन नहीं किया था। बैठक के उपरांत सभी ने दवा सेवन का महत्व समझा और सहमति जताई। उपस्थित लोगों में पीएसपी सदस्य आंगनवाड़ी शशिलता ने सक्रिय भूमिका निभाई।
जिला मलेरिया अधिकारी- सुजाता ठाकुर ने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन संभव है, लेकिन भ्रांतियों और दवा न लेने के कारण लोग इससे ग्रसित हो जाते हैं। जिले के 9 ब्लॉकों में 4306 मरीज हैं, जिनमें 3501 हाथीपांव (हाथ, पांव और महिलाओं के स्तनों में होने वाली सूजन) और 805 हाईड्रोसिल से पीड़ित हैं। हाईड्रोसिल का उपचार सर्जरी से संभव है, लेकिन हाथीपांव का कोई इलाज नहीं है। 10 फरवरी से शुरू होने वाले एमडीए अभियान के तहत प्रभावित 9 ब्लाकों के ग्रामीण क्षेत्रों में चौपाल लगाकर जागरूकता बढ़ाई जा रही है ताकि लोग दवा सेवन कर इस लाइलाज बीमारी से सुरक्षित रहें।“
इन ब्लाकों में चलेगा अभियान –
देवा, फतेहपुर, रामनगर, दरियाबाद, राम सनेही घाट (बनीकोडर), सिद्धौर, हरख, जाटा बरौली और अर्बन क्षेत्र।