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बद्रीनाथ में सीमांत माणा गांव के पास शुक्रवार सुबह करीब 7:15 बजे हिमस्खलन हुआ, जिसमें श्रमिक बर्फ के नीचे दब गए। ये श्रमिक सेना के आवागमन के लिए नियमित रूप से बर्फ हटाने का काम करते थे। उत्तराखंड के ऊंचे इलाकों में हो रही भारी बर्फबारी के बीच, चमोली जिले के बद्रीनाथ में यह घटना हुई, जिससे वहां सीमा सड़क संगठन (BRO) के 55 मजदूर फंस गए। अब तक 33 मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया गया है, जबकि 22 अन्य की तलाश जारी है।
प्रदेश के आपदा प्रबंधन और पुनर्वास सचिव, विनोद कुमार सुमन ने बताया कि पहले 57 मजदूरों के फंसे होने की सूचना मिली थी, लेकिन बाद में यह जानकारी मिली कि दो मजदूर छुट्टी पर थे, जिससे मौके पर कुल 55 मजदूर थे। उन्होंने कहा कि अब तक 33 मजदूरों को बाहर निकाला जा चुका है और बाकी की खोजबीन जारी है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बचाव कार्यों की समीक्षा की और अधिकारियों को निर्देश दिए कि बचाव कार्य में वायुसेना और अन्य हेलीकॉप्टरों को शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि हर एक श्रमिक की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे।
घटना के बाद, पुलिस, सेना, सीमा सड़क संगठन, आईटीबीपी, और अन्य एजेंसियों ने बचाव कार्य शुरू किया, जिसमें खराब मौसम और बर्फबारी की चुनौतियाँ थीं। चमोली के जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बताया कि 10 मजदूरों को पहले ही सेना और आईटीबीपी की टीम ने बाहर निकाला है, जिनमें से चार की हालत गंभीर बताई गई है।
माणा गांव के प्रधान पिताम्बर सिंह के अनुसार, यह स्थान हिमस्खलन के लिहाज से खतरनाक माना जाता है, और पहले इस इलाके से श्रमिकों को हटाकर बद्रीनाथधाम में स्थानांतरित कर दिया जाता था। इस बार बर्फ नहीं गिरने के कारण कैंप को बंद नहीं किया गया, जिसका परिणाम यह दुर्घटना हुई।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस घटना को लेकर मुख्यमंत्री धामी और अन्य अधिकारियों से बात की और बचाव कार्यों को प्राथमिकता देने की बात कही। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी सभी संसाधनों का इस्तेमाल कर फंसे हुए मजदूरों को बचाने के प्रयासों का समर्थन किया।
मौसम विभाग ने 24 घंटे के लिए हिमस्खलन की चेतावनी जारी की थी, जिसके तहत 2,400 मीटर से ऊपर की ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी और बारिश का अनुमान था।