
CJI BR Gavai News : सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अचानक अफरातफरी मच गई, जब वकील राकेश किशोर ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई पर जूता फेंकने का प्रयास किया। सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत उन्हें पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया। 72 वर्षीय किशोर को अपनी इस हरकत का कोई पछतावा नहीं है; उनका कहना है कि वह जेल जाने के लिए भी तैयार हैं।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, किशोर ने कहा, “जेल चला जाऊं तो बेहतर होगा। मेरा परिवार बहुत नाराज है, वे समझ नहीं पा रहे कि मैंने ऐसा क्यों किया।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका किसी भी राजनीतिक दल से कोई संबंध नहीं है।
क्या है पूरा मामला?
यह घटना सोमवार सुबह करीब 11:35 बजे सुप्रीम कोर्ट के कोर्टरूम 1 में हुई, जहां सुनवाई चल रही थी। अचानक किशोर ने अपना जूता उतारकर सीजेआई की ओर फेंकने का प्रयास किया। सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत उन्हें रोक लिया और बाहर ले गए। अदालत के अधिकारियों ने बताया कि जब उन्होंने सीजेआई गवई से दिशानिर्देश मांगे, तो उन्होंने इसे नजरअंदाज कर किशोर को चेतावनी देकर छोड़ने को कहा।
दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने जानकारी दी कि किशोर के पास अदालत में प्रवेश के वैध दस्तावेज थे, जिनमें बार काउंसिल ऑफ इंडिया का कार्ड और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) की अस्थायी सदस्यता भी शामिल थी।
बीआर गवई पर क्यों किया हमला?
रिपोर्ट के अनुसार, किशोर का घर दिल्ली के मयूर विहार में है। उनका कहना है कि उन्हें ‘दिव्य शक्ति’ ने यह कदम उठाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि, “मध्य प्रदेश के खजुराहो के ज्वारी मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति बहाल करने की याचिका पर हाल ही में सीजेआई का फैसला मुझे बहुत नाराज कर गया। अदालत ने इस याचिका को खारिज कर दिया, कहा कि यह मामला पुरातत्व विभाग के अधिकार क्षेत्र में आता है।”
किशोर ने यह भी बताया कि, “उस फैसले के बाद मैं सो नहीं सका। हर रात भगवान पूछते थे कि इतने बड़े अपमान के बाद मैं चैन से कैसे रह सकता हूं।” उन्होंने यह भी कहा कि, “मॉरीशस में सीजेआई गवई के हालिया भाषण से मैं और भड़क गया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘भारत की न्याय व्यवस्था कानून के शासन पर चलती है, बुलडोजर शासन पर नहीं।’”
किशोर ने यह भी दावा किया कि उनके पास बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) से मेडिकल एंटोमोलॉजी में पीएचडी है और वे कभी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के सलाहकार रह चुके हैं। उन्होंने खुद को मानसिक रूप से स्वस्थ बताया।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के सदस्य इस घटना को लेकर अलग राय रखते हैं। एससीबीए के संयुक्त सचिव मनीष दुबे ने कहा, “वे 2011 से एससीबीए के अस्थायी सदस्य थे, लेकिन शायद ही किसी मामले में पेश हुए हों। स्थायी सदस्य बनने के लिए दो वर्षों में कम से कम 20 मामलों में पेश होना जरूरी है, जो उन्होंने कभी नहीं किया।”
दुबे ने बताया कि घटना के बाद उन्होंने किशोर से बात की, तो उन्होंने कोई अफसोस नहीं जताया। “उन्हें कहा गया कि उनका कृत्य गलत था, लेकिन उन्होंने कहा कि वे सही हैं और माफी नहीं मांगी। यह ध्यान आकर्षित करने या पब्लिसिटी स्टंट का प्रयास हो सकता है।” इस घटना के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने किशोर की सदस्यता निलंबित कर दी है। किशोर ने पुष्टि की कि उन्हें पत्र प्राप्त हुआ है, और उन्होंने कहा, “मैं इसके लिए तैयार हूं।”
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