
लखनऊ: निजीकरण के लिए तैयार किए गए आरएफपी डॉक्यूमेंट को अनुमोदित कराने के लिए पावर कार्पोरेशन प्रबंधन गलत आंकड़ों के आधार पर पैरवी कर रहा है और दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश ने पावर कारपोरेशन प्रबंधन पर यह आरोप लगाया है। निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन के 251 वें दिन बिजली कर्मियों ने परियोजनाओं पर विरोध प्रदर्शन जारी रखा।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष से समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष डॉक्टर आशीष गोयल और निदेशक वित्त निधि नारंग पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट द्वारा तैयार किए गए आरएफपी डॉक्यूमेंट को अनुमोदित कराने के लिए नियामक आयोग से लेकर शासन के उच्च स्तर तक दौड़ लगा रहे हैं।
पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष और निदेशक वित्त पूरी टीम के साथ कल विद्युत नियामक आयोग के कार्यालय गए थे और आज इन लोगों ने मुख्य सचिव के पास जाकर गलत आंकड़ों के आधार पर घाटा दिखाकर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की पैरवी की। संघर्ष समिति ने मुख्य सचिव से अपील की है कि वह निधि नारंग और ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की मिली भगत में बनाए गए निजीकरण के आरएफपी डॉक्यूमेंट को किसी भी प्रकार मंजूरी न दें।
संघर्ष समिति ने विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष को पत्र भेजकर मांग की है कि निजीकरण के आरएफपी डॉक्यूमेंट को कोई भी मंजूरी देने के पहले विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का पक्ष विद्युत नियामक आयोग को सुनना चाहिए क्योंकि निजीकरण से बिजली उपभोक्ताओं के साथ सबसे अधिक प्रभाव बिजली कर्मचारियों के भविष्य पर पड़ने वाला है।
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