
चीन के किंगदाओ में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के दो दिवसीय सम्मेलन में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आतंकवाद के खिलाफ कड़ी निंदा की है। उन्होंने सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों की आलोचना करते हुए कहा कि ऐसे दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में भारत में हुए पहलगाम आतंकवादी हमले का भी उल्लेख किया और भारत के ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र किया। साथ ही, उन्होंने बेलारूस को SCO में नए सदस्य के रूप में स्वागत किया।
रक्षा मंत्री ने कहा, “कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को नीति का साधन बनाते हैं और आतंकियों को पनाह देते हैं। ऐसे दोहरे मानदंडों को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। SCO को चाहिए कि इन देशों की आलोचना करने में संकोच न करे।” उन्होंने आगे कहा कि “कोई भी देश, चाहे वह कितना भी बड़ा हो, अकेले नहीं कर सकता। विश्व व्यवस्था का मूल उद्देश्य है कि राष्ट्र मिलकर काम करें। यह हमारी सदियों पुरानी कहावत ‘सर्वे जना सुखिनो भवन्तु’ का भी सार है, जिसका अर्थ है सभी के लिए शांति और समृद्धि।”
राजनाथ सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा कि “शांति और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते,” और इन दोनों का साथ रहना असंभव है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौतियों में शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी है, जिसका मुख्य कारण कट्टरपंथ, उग्रवाद और आतंकवाद हैं। इन बुराइयों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता पर बल देते हुए, उन्होंने कहा कि हमें अपनी सुरक्षा के लिए मिलकर इन चुनौतियों का मुकाबला करना चाहिए।
उन्होंने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का भी जिक्र किया। राजनाथ सिंह ने कहा, “उस दिन, ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ नामक आतंकी समूह ने जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर हमला किया, जिसमें 26 लोग मारे गए, जिनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल है। इन पीड़ितों को धार्मिक पहचान के आधार पर निशाना बनाया गया। इस समूह ने हमले की जिम्मेदारी ली है, और यह लश्कर-ए-तैयबा का एक प्रॉक्सी है।”
राजनाथ सिंह का यह भाषण आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक स्तर पर एकजुटता और निर्णायक कार्रवाई का आह्वान करता है, साथ ही आतंकवाद के शिकार पीड़ितों के प्रति सम्मान भी प्रकट करता है।