
गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार
गुजविप्रौवि में ‘सूचना की शुचिता और राष्ट्र निर्माण’ विषय पर हुआ परिसंवाद कार्यक्रम
कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने की कार्यक्रम की अध्यक्षता
हिसार। प्रतिष्ठित पत्रिका पाञ्चजन्य, दिल्ली के संपादक हितेश शंकर ने कहा है कि जब तक व्यक्ति की अभिव्यक्त करने की इच्छा रहेगी, तब तक मीडिया भी रहेगा। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ मुद्दों को लेकर कटुता का खेल खेला जा रहा है। नेरेटिव वार लड़ा जा रहा है। इस खेल की विरूद्ध नई पहल करने की जरूरत है। हितेश शंकर गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार (गुजविप्रौवि) के छात्र कल्याण विभाग के सौजन्य से ‘सूचना की शुचिता और राष्ट्र निर्माण’ विषय पर आयोजित एक दिवसीय परिसंवाद कार्यक्रम को बतौर मुख्यातिथि सम्बोधित कर रहे थे। चौधरी रणबीर सिंह सभागार में हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने की। डीडी न्यूज, दिल्ली के वरिष्ठ सलाहकार संपादक अशोक श्रीवास्तव मुख्य वक्ता जबकि विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. विजय कुमार व संसद टीवी, दिल्ली के वरिष्ठ एंकर डा. मनोज वर्मा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। अधिष्ठाता, छात्र कल्याण एवं विभागाध्यक्ष बायोटेक्नोलॉजी प्रो. अनिल कुमार कार्यक्रम के संयोजक व प्रो. अरूणेश कुमार सह-संयोजक के रूप में उपस्थित रहे।
मुख्यातिथि हितेश शंकर ने कहा कि खबरों में मिलावट करने वालों का खुलासा होना चाहिए। इस मिलावट से सूचना की शुचिता प्रभावित हो रही है। विज्ञापन से इस खेल को ठंडा किया जा रहा है और विषयों में भरकर उत्तेजना का उत्सव मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सूचनाओं में गंभीरता चाहिए। वर्तमान समय में सूचनाओं की बाढ़ है। विचारधाराओं के नाम पर ढोंग दिखाई देता है। जरूरी है कि इस ढोंग का भी परदा फाश हो। पाञ्चजन्य ने ऐसा प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि गुजविप्रौवि गुरु जम्भेश्वर जी महाराज के नाम स्थापित महान आध्यात्मिक परंपराओं की जमीन वाला विश्वविद्यालय है। उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई की भी प्रशंसा की। उन्होंने युवाओं से कहा कि तथ्य सही से जानें। अपनी भाषा का सही प्रयोग करें तथा मन में राष्ट्र की चिंता रखें।
सूचना का मूल द्रव्य सत्य है : प्रो. नरसी राम बिश्नोई
कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि यदि सूचना शुद्ध और सत्यानिष्ठ नहीं है, तो वह केवल एक शोर है, जिससे समाज में भ्रम व द्वेष फैलाता है। सूचना का मूल द्रव्य सत्य है। सूचना में तथ्यों का प्रस्तुतिकरण ही नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की भावना भी होनी चाहिए। सूचना से संवाद, संवाद से विचार और विचार से विकास होता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह कार्यक्रम केवल शैक्षणिक संवाद ही नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। बौद्धिक विमर्श ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय चेतना को जागृत करने का एक प्रयास भी है।
युवा सूचनाओें के चक्रव्यूह में फंसा हुआ है : अशोक श्रीवास्तव
मुख्य वक्ता अशोक श्रीवास्तव ने कहा कि आज का युवा सूचनाओें के चक्रव्यूह में फंसा हुआ है। फेक न्यूज और फेक नेरेटिव सबसे बड़े खतरे हैं। आधी अधूरी सूचनाएं दी जाती हैं, जिससे गलत नेरेटिव सेट किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया के अधिकतर देश भारत को आगे बढ़ते देखना नहीं चाह रहे। भारत के अंदर और बाहर जो षडयंत्र हैं उन्हें समझना होगा और राष्ट्र निर्माण में बाधा बनने वाले गलत नेरेटिव्स का विरोध करना होगा। उन्होंने इस परिसंवाद कार्यक्रम को इस दिशा में एक शानदार पहल बताया।
राष्ट्र निर्माण सूचना तंत्र पर निर्भर करता है : डा. मनोज वर्मा
विशिष्ट अतिथि डा. मनोज वर्मा ने कहा कि किसी देश का राष्ट्र निर्माण सूचना तंत्र पर निर्भर करता है। उन्होंने आजादी के बाद के अलग-अलग दौरों का उदाहरण देते हुए कहा कि अब तकनीकी युग आ गया है। सूचनाओं की भरमार है, लेकिन सूचनाओं की शुचिता पर सवाल खड़े हो गए हैं। फेक न्यूज वर्तमान समय की सबसे बड़ी चुनौती हैं। उन्होंने कई बिलों का जिक्र करते हुए बताया कि इन बिलों को लेकर गलत सूचनाएं फैलाई गई। उन्होंने कहा कि जवाबदेही व विश्वास वर्तमान समय का सबसे बड़ा मुद्दे हैं। सोशल मीडिया की भी जवाबदेही तय की जानी चाहिए तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की भी अपनी मर्यादा होती है।
राष्ट्र निर्माण केवल एक भौतिक संरचना नहीं : डा.विजय कुमार
कुलसचिव डा. विजय कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्र निर्माण केवल एक भौतिक संरचना का निर्माण नहीं, बल्कि सच्चे व नैतिक नागरिकों का निर्माण करना है। यह तभी संभव है जब सच्ची व शुचितायुक्त सूचनाएं मिलें। उन्होंने कहा कि भारत के युवा रूपी अभिमन्यु को कौशलयुक्त होना होगा और उसे डिजिटल युग के चक्रव्यूह से निकलना भी सीखना होगा।
कार्यक्रम संयोजक प्रो. अनिल कुमार ने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि राष्ट्र निर्माण की चेतना को समझें तथा सूचनाओं को सत्यता और विवेक की दृष्टि से परखें। मीडिया, शिक्षण संस्थान व जागरूक नागरिकों की भूमिका इस दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण है। धन्यवाद सम्बोधन प्रो. अरूणेश कुमार ने किया तथा उन्होंने कहा कि इस परिसंवाद कार्यक्रम का प्रतिभागियों को अत्यंत लाभ होगा।
मुख्यातिथि ने विश्वविद्यालय की यूथ रेड क्रॉस इकाई द्वारा शुरु किए गए स्वच्छता कार्यक्रम को भी रेड क्रॉस का ध्वज दिखाकर शुभारंभ किया। डा. महावीर प्रसाद कार्यक्रम के संयोजक सचिव थे। मंच संचालन डा. गीतू धवन ने किया।