आर्या झा WOSY फाउंडेशन का प्रतिनिधित्व करेंगी. 3 सितंबर से 6 सितंबर 2024 को रूस के व्लादिवोस्टॉक में आयोजित हो रहे रॉसकॉंग्रेस और फ्रैंड्स ऑफ लीडरशिप फॉर ईस्टर्न इकनॉमिक फोरम में भारतीय प्रतिनिधि के रूप मे हिस्सा लेंगी.इससे पूर्व आर्या ने Y20 में सेक्रेटरी (कम्युनिकेशन) के रूप मे अपनी सफल भूमिका निभाई है. सतत विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने मे उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. भारत मे अध्ययन के लिए आनेवाले विदेशी छात्रों के लिए वे प्रेरणास्रोत हैं.
भारतीय संस्कृति से परिचय करवाने के लिए आर्या झा निरंतर विदेशी छात्रों के मध्य प्रयत्नशील रहती हैं. वे मानती हैं कि पृथ्वी हम सभी की है. इसलिए उसका शोषण और दोहन नहीं संरक्षण करना आवश्यक है. जल,थल और वायु को हमे अपने उपभोग पर नियंत्रण कर बचाना होगा. मानवता की रक्षा के लिए वसुधा को कुटुंब मानते हुए जैविक और प्राकृतिक विकास के बारे मे सोचना होगा. बुद्ध और गांधी की शिक्षा को हमे अपनाना होगा. पूर्वाग्रह से ग्रसित हुए बिना एकजुटता ही इस धरती को बचाएगी.हमें सबका खयाल रखना होगा उनका भी जो सब कुछ आसानी से पा नहीं सकते.
आर्या IIMC की पूर्व छात्रा रही है.काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ,वाराणसी से उन्होंने स्नातक की शिक्षा ग्रहण की है. दो बहनों में आर्या बड़ी हैं. आर्या की माँ जे एन यू,नई दिल्ली में भारतीय भाषा केंद्र में प्रोफेसर हैं. पिताजी समाजशास्त्रीय चिंतक हैं. मूलतः मिथिला से आर्या का जुड़ाव है.
मधुबनी चित्रकला में प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल , मिथिला के समा चाकेवा का त्योहार, विषहारा की पूजा, बांस,कछुआ जैसे अनेक प्राकृतिक बिम्बों के रहस्य से वे प्रभावित होती हैं. भोजन पकाने हेतु प्रयोग में लाए जाने वाले प्राकृतिक उपादान उन्हें चमत्कृत करते हैं. प्रयोग और पुर्नप्रयोग को बढावा देनेवाली आर्या भारतीय संस्कृति और परंपराओं की प्रकृति और प्रवृत्ति को महत्वपूर्ण मानती हैं.आर्या की यह यात्रा सतत विकास की दिशा मे युवाओं को प्रेरित करेगी.