भारत को एक और अमेरिकी झटका: चाबहार बंदरगाह के लिए अमेरिका ने रद्द कर दी छूट

वॉशिंगटन । भारत को अपना दोस्त बताने वाला अमेरिका आए दिन कुछ न कुछ संकट खड़ा करने का प्रयास कर रहा है। ऐसे ही प्रयासों के चलते चाबहार बंदरगाह के लिए अमेरिका द्वारा 2018 में दी गई छूट को रद्द करने की खबरें आ रहीं हैं। वर्ष 2003 में भारत ने चाबहार बंदरगाह के विकास का प्रस्ताव दिया था ताकि भारतीय वस्तुओं को इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर परियोजना से पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक माल पहुंचाया जा सके। बंदरगाह का संचालन इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड करता है जबकि इसका स्वामित्व ईरान के पोर्ट्स एंड मैरीटाइम ऑर्गनाइजेशन के पास है।

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रमुख उप प्रवक्ता थॉमस पिगॉट ने सप्ताह की शुरुआत में जारी एक बयान में कहा कि अमेरिकी प्रतिबंधों में छूट देने वाले 2018 के आदेश को रद्द किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह कदम ईरानी शासन को अलग-थलग करने के लिए अधिकतम दबाव डालने की राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीति के अनुरूप है। पिगॉट ने कहा, अमेरिकी विदेश मंत्री ने अफगानिस्तान पुनर्निर्माण मदद एवं आर्थिक विकास के लिए ईरान स्वतंत्रता एवं परमाणु प्रसार-रोधी अधिनियम (आईएफसीए) के तहत 2018 में जारी प्रतिबंध छूट को रद्द कर दिया है। यह आदेश 29 सितंबर, 2025 से प्रभावी हो जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रतिबंध के प्रभावी हो जाने के बाद चाबहार बंदरगाह का संचालन करने वाले या संबंधित गतिविधियों में शामिल लोग प्रतिबंधों के दायरे में आ सकते हैं। अमेरिकी प्रशासन के इस निर्णय से भारत भी प्रभावित होगा क्योंकि वह ओमान की खाड़ी में स्थित चाबहार बंदरगाह पर एक टर्मिनल के विकास से जुड़ा हुआ है।

भारत ने चाबहार बंदरगाह का इस्तेमाल 2023 में अफगानिस्तान को 20 हजार टन गेहूं भेजने के लिए किया था। वर्ष 2021 में ईरान को पर्यावरण अनुकूल कीटनाशक भेजने में किया गया। 10 साल की अवधि वाला यह द्विपक्षीय समझौता इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) और पीएमओ ईरान के बीच शाहिद-बहेश्ती टर्मिनल के संचालन के लिए हुआ, जो चाबहार पोर्ट विकास परियोजना का हिस्सा है। विदेश मंत्रालय ने 2024-25 के लिए चाबहार बंदरगाह हेतु 100 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो ईरान के साथ संपर्क परियोजनाओं दर्शाता है। चाबहार न केवल भारत के सबसे नजदीकी ईरानी बंदरगाह है बल्कि समुद्री दृष्टिकोण से भी एक उत्कृष्ट बंदरगाह है। मई 2015 में बंदरगाह के विकास के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ और 23 मई 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईरान यात्रा के दौरान इस पर हस्ताक्षर हुआ।

भारत रणनीतिक रूप से अहम चाबहार बंदरगाह पर एक टर्मिनल के विकास में जुटा है। अमेरिकी सरकार के फैसले से भारत प्रभावित होगा, क्योंकि वह ओमान की खाड़ी पर स्थित चाबहार बंदरगाह के एक टर्मिनल के विकास में शामिल है। भारत ने 13 मई 2024 को बंदरगाह के संचालन के लिए 10 साल का अनुबंध किया था, जिससे उसे मध्य एशिया के साथ व्यापार बढ़ाने में मदद मिलेगी।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका अवैध वित्तपोषण धाराओं को बाधित करने के लिए प्रतिबद्ध है। जब तक ईरान अपनी अवैध आय का उपयोग अमेरिका और उसके सहयोगियों पर हमलों और दुनिया भर में आतंकवाद फैलाले का काम करेगा तो अमेरिका अपनी शक्तियों का पूरा इस्तेमाल करेगा। ईरान के संदिग्ध परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमेरिकी प्रतिबंधों से बंदरगाह के विकास की गति धीमी हो गई थी।

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