पाकिस्तान का एक और झूठ बेनकाब! असीम मुनीर को विक्ट्री डे परेड का नहीं मिला न्योता

पाकिस्तान का एक और प्रोपेगेंडा दुनिया के सामने बेनकाब हो गया है. जिस तरह वह खुद को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बड़ा और प्रभावशाली दिखाने की कोशिश करता है, वैसी ही एक चाल इस बार भी उसने चली, लेकिन सच्चाई ज्यादा देर छुप नहीं सकी. बुधवार को पाकिस्तानी मीडिया और सरकारी सूत्रों ने दावा किया कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को अमेरिका में होने वाली ऐतिहासिक 250वीं विक्ट्री डे परेड में भाग लेने का निमंत्रण मिला है. लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल उलट है.

सूत्रों के मुताबिक, जनरल आसिम मुनीर को विक्ट्री डे परेड में कोई औपचारिक निमंत्रण नहीं मिला है. उनका अमेरिका दौरा पूरी तरह से द्विपक्षीय सैन्य बातचीत पर केंद्रित है, न कि किसी प्रतिष्ठित समारोह में शामिल होने के लिए. पाकिस्तान ने इस यात्रा को जिस तरह प्रचारित किया, उससे एक बार फिर उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचा है.

पाकिस्तानी मीडिया का प्रोपेगेंडा

पाकिस्तानी मीडिया और सोशल मीडिया पर यह दावा तेजी से फैलाया गया कि जनरल मुनीर को अमेरिका के एक महत्वपूर्ण समारोह में आमंत्रित किया गया है, जिससे देश की छवि को मजबूती मिल रही है. लेकिन अब यह साफ हो गया है कि यह सिर्फ एक झूठा प्रचार था. हालांकि, भारत की सुरक्षा एजेंसियों की नजर अब भी इस दौरे पर बनी रहेगी क्योंकि यह यात्रा भारत-पाक हालिया तनाव के ठीक एक महीने बाद हो रही है. 

अमेरिका ने फिर की पाकिस्तान की तारीफ

इसी दौरान यूनाइटेड स्टेट्स सेंट्रल कमांड (CENTCOM) के कमांडर जनरल माइकल कुरिल्ला ने पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी गतिविधियों की सराहना की. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इस लड़ाई में एक अभूतपूर्व भागीदार रहा है. खास तौर पर अफगानिस्तान सीमा पर ISIS-K जैसे संगठनों के खिलाफ की गई कार्रवाइयों को अमेरिका ने महत्वपूर्ण बताया है.

भारत-पाक तनाव और ट्रंप की दखल

7 मई को भारत द्वारा “ऑपरेशन सिंदूर” की शुरुआत के बाद भारत-पाक तनाव चरम पर पहुंच गया था. यह हमला जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब था जिसमें 26 निर्दोष नागरिक मारे गए थे. भारतीय सेना ने इस ऑपरेशन में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में मौजूद आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया और लगभग 100 आतंकियों को मार गिराने का दावा किया.

जवाब में पाकिस्तान ने भी हमले किए, जिनका भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया. चार दिन तक चला यह सैन्य तनाव अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता के बाद रुका. ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से इस सीजफायर का क्रेडिट लिया और दावा किया कि उनकी पहल पर भारत-पाक युद्ध टला.

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