इसरो की अंतरिक्ष में एक और छलांग, संचार उपग्रह जीसैट-30 का सफल प्रक्षेपण.

बेंगलुरू/नई दिल्ली । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के नवीनतम संचार उपग्रह जीसैट-30 को शुक्रवार को 2:35 बजे (भारतीय समयानुसार) दक्षिण अमेरिका के कौरौ में गुयाना स्पेस सेंटर से अंतरिक्ष में सफलता पूर्वक एरियन-5 रॉकेट के माध्यम से रवाना किया गया। 3,357 किलोग्राम का यह उपग्रह इनसैट -4 ए की जगह लेगा, जो 2005 में लॉन्च किया गया था। यह देश की दूरसंचार सेवाओं को बेहतर बनाने में सहायक होगा।

यह उच्च-शक्ति उपग्रह 12 सामान्य सी बैंड और 12 कू बैंड ट्रांसपोंडर से लैस है। इसरो ने अपने अध्यक्ष के. सिवन के हवाले से कहा, “जीसैट -30 टेलीविजन सेवाओं को डीटीएच (डायरेक्ट टू होम), बैंकों के कामकाज के लिए वीसेट कनेक्टिविटी (कनेक्टिविटी) प्रदान करेगा। बैंकों के एटीएम, स्टॉक एक्सचेंज, टेलीविज़न अपलिंकिंग और टेलीपोर्ट सेवाएं, डिजिटल उपग्रह समाचार संप्रेषण और ई-गवर्नेंस एप्लिकेशन के लिए उपयोगी साबित होगा। उपग्रह का उपयोग उभरते दूरसंचार अनुप्रयोगों में भारी-भरकम डेटा ट्रांसफर के लिए भी किया जाएगा। ” उन्होंने कहा कि इसका अनूठा विन्यास लचीला आवृत्ति खंड और लचीला कवरेज प्रदान करता है। “उपग्रह केयू बैंड के माध्यम से भारत और द्वीपों को संचार सेवाएं और सी बैंड के माध्यम से खाड़ी देशों, बड़ी संख्या में एशियाई देशों और ऑस्ट्रेलिया को में व्यापक कवरेज प्रदान करेगा।”

यह उपग्रह दक्षिण अमेरिका के उत्तर-पूर्वी तट पर कौरो के एरियन प्रक्षेपण परिसर से लॉन्च किया गया। यह भारत का 24वां ऐसा सैटेलाइट है, जिसे एरियनस्पेस के एरियन रॉकेट से प्रक्षेपित किया गया। गौरतलब है कि एरियन स्पेस यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए) की वाणिज्यिक शाखा है, जो भारत की पुरानी सहयोगी है। इसकी मदद से कई भारतीय उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा गया है।उपग्रह के लॉन्च के लिए यूआर. राव सैटेलाइट सेंटर के निदेशक पी. कुन्हिकृष्णन थे। 38 मिनट से अधिक की उड़ान में, यूरोपीय एरियन-5 अंतरिक्ष यान वीए-251 ने एक प्रारंभिक अण्डाकार जियोसिंक्रोनस कक्षा में जीसेट-30 को छोड़ा। इसरो मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी को इसके संकेत मिलने शुरू हो गए और उन्होंने अपने सिस्टम को स्वस्थ पाया। आने वाले हफ्तों में एमसीएफ इंजीनियर धीरे-धीरे इसे पृथ्वी से 36,000 किमी दूर एक अंतिम गोलाकार कक्षा में समायोजित कर देंगे और जाहिरा तौर पर देश में 83° पूर्वी देशांतर पर फिक्स कर देंगे। यह सैटेलाइट 15 सालों तक पृथ्वी के ऊपर भारत के लिए काम करता रहेगा। इसमें दो सोलर पैनल होंगे और बैटरी होगी, जो इसे ऊर्जा प्रदान करेगी।

इस उपग्रह के लॉन्च होने के बाद अब देश की संचार व्यवस्था और मजबूत हो जाएगी। इसकी मदद से देश में नई इंटरनेट टेक्नोलॉजी लाई जाने की उम्मीद है। साथ ही पूरे देश में मोबाइल नेटवर्क फैल जाएगा, जहां अभी तक मोबाइल सेवा नहीं है। उम्मीद की जा रही है कि इसकी मदद से 5जी इंटरनेट सेवा की देश में शुरुआत की जा सकती है।

टरनेट स्पीड तेज होगी, डीटीएच सेवाओं में सुधार होगा

इसके लॉन्च होने के बाद देश की संचार व्यवस्था और मजबूत हो जाएगी। इससे इंटरनेट की स्पीड बढ़ेगी। साथ ही देश में जहां नेटवर्क नहीं है, वहां मोबाइल नेटवर्क का विस्तार हाेगा। इसके अलावा डीटीएच सेवाओं में भी सुधार होगा। यह एक दूरसंचार उपग्रह है, जो इनसैट सैटेलाइट की जगह काम करेगा। इसमें दो सोलर पैनल और बैटरी लगी है, जिससे इसे ऊर्जा मिलेगी।

इसकी जरूरत क्यों पड़ी?
पुराने संचार उपग्रह इनसैट सैटेलाइट की उम्र पूरी हो रही है। देश में इंटरनेट की नई तकनीक आ रही है। 5जी पर काम चल रहा है। ऐसे में ज्यादा ताकतवर सैटेलाइट की जरूरत थी। जीसैट-30 उपग्रह इन्हीं जरूरतों को पूरा करेगा।

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