- सिफारिशों से परेशान अधिकारियों ने कार्यालयों में पांबदी लगाई।
- भर्ती प्रक्रिया में हर मिनट पर सिफारिश आ रही है।
- कोई मंत्री तो कोई विधायक तो कोई शासन से सिफारिश लेकर कार्यालय आ रहा।

सीतापुर : हर कोई आवेदनकर्ता चाहता है कि आंगनबाड़ी में कार्यकर्ता के पद पर निकली भर्ती में उसका सलेक्शन हो जाए इसको लेकर वह जनप्रतिनिधियों से लेकर बड़े साहबों की सिफारिशे लेकर आ रहा है। अत्यधिक संख्या में सिफारिशें आने से आजिज अधिकारियों ने अपने कार्यालय में पाबंदी लगा दी है। वहीं फोन भी रिसीव करना बंद कर दिया है। वहीं आज दलालों को पकड़ने के लिए आंगनबाड़ी विभाग के बड़े साहब ने भीड़ में अपना खुफियातंत्र लगा रखा था लेकिन कल की चेतावनी की डर से आज कहीं भी दलाल नजर नहीं आए।
बता दें कि बीते तीन दिनों से आंगनबाड़ी भर्ती प्रक्रिया के तहत विकास भवन में आवेदनकर्ताओं के सत्यापन का कार्य चल रहा है। ऐसे में यहां पर भारी संख्या में आवेदनकर्ताओं की भीड़ उमड़ रही है। सभी आवेदनकर्ता अपना-अपना जुगाड़ लगा रहे हैं कि पावर के दम पर ही सही उनका किसी तरह से सलेक्शन हो जाए। इसको लेकर कोई राज्यमंत्री तो कोई विधायक, तो कोई उच्चाधिकारी अथवा पैसा के दम पर नौकरी पाना चाह रहा है। वह अपनी सिफारिष लेकर सीधे अधिकारियों के केबिन में जा रहा है।
आज जब कई सिफरिशे सीडीओ के यहां जा पहुंची तो उन्होंने आजिज आकर बाहर बैठने वाले अर्दली से कहा कि अंदर आने वाले से पूछ लिया जाए कि उसका कार्य क्या है अगर वह सिफारिश लेकर आया हो तो मना कर देना। यही हाल कई अन्य अधिकारियों का था। चूंकि बाल विभाग विभाग विकास भवन में ही बना है, इसलिए वहां पर अन्य विभागों के भी अधिकारी बैठते हैं। ऐसे में आवेदनकर्ता अपने-अपने जुगाड़ लेकर वहां पहुंच कर सिफारिश करवा रहा है। यही नहीं फोन पर भी सिफारिशों का दौर चल रहा है लेकिन डीपीओ मनोज कुमार राव ने स्पष्ट रूप से दो टूक शब्दों में कह दिया कि अगर टॉप थ्री के चयन में आवेदनकर्ता हर पात्रत्रता को पार दकरता हुआ टॉप करेगा तभ्ज्ञी भर्ती होगी। सिफरिशों की कोई गुंजाइश नहीं है।
भीड़ में विभाग ने लगाया खुफियातंत्र
दरअसल गत दिवस डीपीओ को इस बात की शिकायत मिली थी कि कुछ दलाल टाइप के लोग भर्ती कराने के नाम पर आवेदनकर्ताओं को बरगला रहे हैं। ऐसे में उन्होंने खुद ही निकल कर मोर्चा संभाल लिया था लेकिन उन्हें कोई मिला नहीं। इसके बाद आज उन्होंने अपने विभाग के क्षेत्रीय कर्मचारियों को भीड़ के अंदर छोड़ रखा था ताकि अगर कोई दलाल धोखे से आ जाए और किसी आवेदनकर्ता से बात करें तो उसे पकड़ लिया जाए लेकिन ऐसा लग रहा था के डीपीओ द्वारा दी गई कल की चेतावनी के बाद से दलाल सकते में आस गए और वह आज नहीं आए।












