
- शेरपुर कलां में हिन्दू- मुस्लिम एकता की मिसाल पेश करता है होली का त्यौहार
पीलीभीत। रंगों का त्यौहार होली और उसे मनाने का तरीका पूरे देश में अलग-अलग है। कहीं फूलों से होली खेली जाती है, तो कहीं लाठीमार होली की परम्परा है, मगर पीलीभीत में नवाबों के गांव में होली का रिवाज और मजेदार है।
जनपद की तहसील पूरनपुर के गांव शेरपुर कलां में होली खेलने की परम्परा सबसे अनूठी है। यहां धूम धड़ाके के साथ रंग और गालियांे बौझार होती हैं। हिन्दू मुस्लिमों को रंग लगाते हैं और फिर उनको गाली देकर फगुआ वसूल करते हैं। अच्छी बात ये है कि मुसलमान इससे नाराज नहीं होते, बल्कि हंस कर होली की बधाई देते हैं। चालीस हजार आबादी वाले इस गांव में दो हजार के आस पास हिंदू परिवार भी है। जब होली आती है तो हिंदू ही नही मुस्लिम समुदाय के लोग होलिका की तैयारी करने में सहयोग करते हैं।
असली नजारा तो होली के दिन दिखता है जब धमाल में शामिल रंग-गुलाल से सराबोर हुरियारों की टोलियां मुस्लिम परिवार के घरों के दरवाजे पर पहुंचती है, गालियां देना शुरू करते है। गालियां देते हुए मुस्लिमों से फगुआ वसूलते हैं। प्यार भरी इन गालियों को सुनकर मुस्लिम समुदाय के लोग हंसते हुए फगुआ के तौर पर कुछ नकदी हुरियारों को भेंट करते हैं। खास बात ये है कि मुसलमान इससे नाराज नहीं होते, बल्कि हंस कर होली की बधाई देते हैं।
उसके बदले मुस्लिम लोग उन्हें खुश होकर रूपये देते हैं। पूरनपुर तहसील की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत का रुतबा रखने वाला ये गांव नवाबों का रहा है। गांव शेरपुर जहां की आबादी लगभग 40 हजार के आसपास हैं, यहां 38000 मुस्लिम है तो सिर्फ 2 हजार हिंदू हैं। जिसमें बाल्मीकि, पासी और राठौर जाति के हिंदू परिवार निवास करते हैं। करीब 300 साल पुरानी गाली देने की परंपरा इस गांव में आज भी है, इस गांव के रहने वाले लोगों का कहना है कि यह परंपरा काफी पुरानी चली आ रही है।

गांव के ही मीनू कहते है कि इसमें कोई भी लोग बुरा नहीं मानता है और गांव का भाईचारा इस बात से देखा जा सकता है कि 40000 की आबादी में सिर्फ 2000 हिंदू खुलकर जश्न बनाते हैं, अपनी परंपरा को निभाते हैं। शेरपुर गांव में हिंदुओं की आबादी में एक स्थल है जहां पर एक मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर पर रात में होलिका दहन होता है। सुबह हिंदू परिवार इकट्ठा होकर एक जुलूस की शक्ल में पूरे इलाके में होली मनाते हैं और चारों तरफ होली खेलते है, परंपरा के साथ मंदिर पर धमार पूरी होती है।
शेरपुर के रहने वाले मौजूदा समय के लोगों का कहना है कि यह परंपरा लगभग 300 साल पुरानी है, होली के दिन हिन्दू हुलियारे पूरी भड़ास निकालते हैं और नवाबों को जमकर गालियां देते हैं। जिसके बदले में नवाब खानदान के लोग इन्हें उपहार स्वरूप रूपये देते हैं। देश में जहां जुमा और होली को लेकर विवादित बयान आ रहे थे तब भी इस गांव में धूम धड़ाके से होली देखी जा रही हैं।