
New Delhi : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आजाद हिंद फौज की स्थापना के 82वें दिवस पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस और उनके वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने 1943 में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में तिरंगा फहराकर आजादी की घोषणा करने वाली ऐतिहासिक घटना को याद किया। इस अवसर पर शाह ने अपने सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ पर एक भावपूर्ण संदेश साझा कर आजाद हिंद फौज के योगदान को अमर बताया।
अमित शाह का भावपूर्ण संदेश
अमित शाह ने अपने संदेश में लिखा, आजाद हिंद फौज के स्थापना दिवस पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस और उनके वीर सैनिकों को कोटि-कोटि नमन। नेताजी ने आजाद हिंद फौज के माध्यम से देशवासियों के हृदय में यह विश्वास जगाया कि अपनी सेना और सैन्य शक्ति के बल पर हम स्वतंत्रता प्राप्त कर सकते हैं। 1943 में अंडमान और निकोबार में तिरंगा फहराकर आजादी की घोषणा करने वाले INA के सैनिक अनंतकाल तक ‘राष्ट्र प्रथम’ की प्रेरणा बने रहेंगे। शाह ने आगे कहा कि नेताजी का नेतृत्व और उनकी फौज की वीरता ने स्वतंत्रता संग्राम में एक नया अध्याय जोड़ा।
आजाद हिंद फौज का गौरवशाली इतिहास
आजाद हिंद फौज की स्थापना 21 अक्टूबर 1943 को सिंगापुर में हुई थी। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने उसी दिन अस्थायी भारत सरकार, जिसे ‘आजाद हिंद सरकार’ के नाम से जाना जाता है, की स्थापना की थी। इस सरकार का मुख्य उद्देश्य भारत को ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से मुक्त करना था। नेताजी ने जापान के सहयोग से एक सशक्त सैन्य संगठन का गठन किया, जिसमें हजारों भारतीय सैनिकों और स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया। इस फौज में पुरुषों के साथ-साथ रानी झांसी रेजिमेंट के तहत महिलाओं ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
4 जुलाई 1943 को नेताजी ने आजाद हिंद फौज की कमान संभाली और सिंगापुर में अपने ऐतिहासिक भाषण में तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा दिया। इस नारे ने लाखों भारतीयों के मन में स्वतंत्रता की ज्वाला प्रज्वलित की। नेताजी के नेतृत्व में आजाद हिंद फौज ने रंगून से दिल्ली तक का अभियान शुरू किया और मणिपुर, कोहिमा, और इंफाल जैसे क्षेत्रों में ब्रिटिश सेना को कड़ी चुनौती दी।
अंडमान में तिरंगा फहराने की ऐतिहासिक घटना
1943 में आजाद हिंद फौज ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में तिरंगा फहराकर भारत की स्वतंत्रता की घोषणा की थी। यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक मील का पत्थर साबित हुई। नेताजी ने अंडमान का नाम ‘शहीद द्वीप’ और निकोबार का नाम ‘स्वराज द्वीप’ रखा, जो उनकी देशभक्ति और स्वतंत्रता के प्रति दृढ़ संकल्प को दर्शाता है। इस घटना ने न केवल भारतीयों में उत्साह का संचार किया, बल्कि ब्रिटिश शासन को यह संदेश भी दिया कि भारत अब अपनी स्वतंत्रता के लिए हर कीमत चुकाने को तैयार है।
आजाद हिंद फौज का योगदान और सम्मान
आजाद हिंद फौज ने न केवल युद्ध के मैदान में ब्रिटिश सेना को चुनौती दी, बल्कि भारतीय जनमानस में स्वतंत्रता के लिए एक नई चेतना जागृत की। इस फौज के सैनिकों ने अपनी वीरता और बलिदान के लिए कई सम्मान प्राप्त किए, जिनमें ‘शेरे-हिन्द’, ‘सरदारे-जंग’, ‘वीरे-हिन्द’, और ‘शहीदे-भारत’ जैसे पुरस्कार शामिल थे। इन सैनिकों की बहादुरी ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी।
नेताजी का नेतृत्व और प्रेरणा
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नेतृत्व आजाद हिंद फौज की सफलता का मूल आधार था। उनकी रणनीति, साहस, और देशभक्ति ने विश्व स्तर पर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई पहचान दी। जापान, जर्मनी, और अन्य देशों में रह रहे भारतीय प्रवासियों को एकजुट कर उन्होंने आजाद हिंद फौज को एक शक्तिशाली संगठन बनाया। उनकी दूरदर्शिता और सैन्य रणनीति ने ब्रिटिश शासन की नींव हिला दी थी।
आजाद हिंद फौज का प्रभाव
आजाद हिंद फौज ने न केवल सैन्य स्तर पर बल्कि सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को प्रभावित किया। इसने भारतीयों में यह विश्वास पैदा किया कि स्वतंत्रता केवल मांगने से नहीं, बल्कि लड़कर हासिल की जा सकती है। फौज के सैनिकों की वीरता और बलिदान ने 1947 में भारत की स्वतंत्रता की नींव मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।