
जयपुर : भारत की न्याय व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज जयपुर एग्जिबिशन एंड कंवेंशन सेंटर (जेईसीसी) में तीन नए आपराधिक कानूनों पर आधारित राज्य स्तरीय प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। नव विधान न्याय की नई पहचान थीम वाली यह प्रदर्शनी नए कानूनों के लागू होने की पहली वर्षगांठ पर आयोजित की गई है, जिसका उद्देश्य आम जनता, पुलिसकर्मियों, वकीलों और विधि छात्रों को इन प्रावधानों की जानकारी प्रदान करना है। शाह ने जोर देकर कहा कि ये कानून “ईज ऑफ लिविंग के साथ-साथ “ईज ऑफ जस्टिस” सुनिश्चित करेंगे, और आपराधिक न्याय व्यवस्था को दंडात्मक से न्याय-उन्मुख बनाने में क्रांतिकारी बदलाव लाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए तीन नए कानून – भारतीय न्याय संहिता (भारतीय दंड संहिता की जगह), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (दंड प्रक्रिया संहिता की जगह) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह) – 1 जुलाई 2024 से प्रभावी हो चुके हैं। शाह ने बताया कि देशभर में इनकी पूर्ण क्रियान्वयन में अभी दो वर्ष और लगेंगे, लेकिन 2027 से हर दर्ज एफआईआर पर तीन साल के भीतर सुप्रीम कोर्ट स्तर तक न्याय मिलना सुनिश्चित हो जाएगा। अपने संबोधन में शाह ने कहा, “यह सिर्फ कानूनी बदलाव नहीं, बल्कि न्याय वितरण प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन है।”
सजा दर में सुधार पर प्रकाश डालते हुए शाह ने उल्लेख किया कि पहले गिरफ्तार 100 अपराधियों में से केवल 42 को सजा मिलती थी, जो अब नए व्यवस्था में बढ़कर 60 प्रतिशत हो गई है। उन्होंने आश्वासन दिया कि पूर्ण क्रियान्वयन के बाद यह आंकड़ा 90 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा। “हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली अब दंड से नहीं, बल्कि न्याय से प्रेरित होकर काम करेगी। गृह मंत्रालय राज्यों को मार्गदर्शन और सहयोग प्रदान कर रहा है ताकि जनता को समय पर और सुलभ न्याय मिल सके,” शाह ने जोड़ा। यह बयान हाल ही में हरियाणा में उनके दिए गए वक्तव्य से मेल खाता है, जहां उन्होंने नए कानूनों के तहत सजा दर को 80 प्रतिशत तक दोगुना होने और मामलों के तीन साल में निपटारे का जिक्र किया था।
राजस्थान पुलिस और डीजीपी की सराहना
शाह ने राजस्थान पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव शर्मा की विशेष तारीफ की, जिन्होंने इन कानूनों को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने प्रदर्शनी को दीपावली के बाद तक बढ़ाने की मांग की, ताकि अधिक से अधिक पुलिसकर्मी, वकील और विधि छात्र इसमें भाग लेकर नए प्रावधानों की जानकारी प्राप्त कर सकें। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि ये नए कानून स्वतंत्र भारत की न्याय प्रणाली में क्रांतिकारी परिवर्तन का प्रतीक हैं, और आज भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी शर्तों पर बोल रहा है। डीजीपी राजीव शर्मा ने इसे आजादी के बाद का ऐतिहासिक कदम बताया और गृह मंत्री शाह को देश का सबसे लंबे समय तक कार्यरत गृह मंत्री बताते हुए उनके नेतृत्व में धारा 370 हटाने और नक्सल समस्या के समाधान को रेखांकित किया।
राजस्थान हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने कहा कि प्रदर्शनी से आमजन को नए कानूनों की उपयोगिता के बारे में उपयोगी जानकारी मिलेगी। उन्होंने जोर दिया कि कानून केवल दंड का माध्यम नहीं, बल्कि समाज को सही दिशा देने का मजबूत आधार भी हैं।
विकास कार्यों का लोकार्पण और शिलान्यास
प्रदर्शनी के अलावा, शाह ने “राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट 2024” के तहत प्राप्त निवेश प्रस्तावों में से 4 लाख करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स की नींव रखी। साथ ही, करीब 9600 करोड़ रुपये की लागत वाले 1100 विकास कार्यों का लोकार्पण और शिलान्यास किया। उन्होंने इसे विकास और न्याय के समन्वय का कार्यक्रम बताया। इस मौके पर पीएम सूर्य घर योजना के तहत 150 यूनिट मुफ्त बिजली योजना के रजिस्ट्रेशन की भी शुरुआत की गई।
यह आयोजन न केवल न्याय सुधार पर केंद्रित था, बल्कि राजस्थान में निवेश और विकास को बढ़ावा देने का भी माध्यम बना। शाह के अनुसार, ये कदम देश को आत्मनिर्भर और न्यायपूर्ण बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे। प्रदर्शनी में विभिन्न स्टॉल्स पर नए कानूनों के प्रावधानों, डिजिटल जांच प्रक्रिया, फोरेंसिक सुविधाओं और ई-एफआईआर जैसे फीचर्स को प्रदर्शित किया गया, जो आगंतुकों को आकर्षित कर रहे हैं।