
रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष पर वैश्विक राजनीति में एक बड़ा मोड़ आया है। अमेरिका ने अपनी नीति में बदलाव करते हुए संयुक्त राष्ट्र में रूस का समर्थन किया, जबकि यूक्रेन के खिलाफ यूरोपीय संघ का प्रस्ताव था। इस प्रस्ताव में रूस के हमलों की निंदा की गई थी और यूक्रेन में शांति बहाल करने की बात की गई थी।
लेकिन जब मतदान की बारी आई, तो अमेरिका ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव दिखाते हुए रूस का साथ दिया और इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट दिया। यह कदम ट्रंप की पुतिन के साथ बढ़ती नजदीकी और यूरोप से बढ़ते मतभेदों को दिखाता है। इस दौरान, भारत ने इस मतदान से खुद को अलग रखा और मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
वहीं, चीन ने भी इस मतदान में हिस्सा नहीं लिया। कुल मिलाकर, भारत, चीन, ब्राजील सहित 65 देशों ने इस मुद्दे पर वोटिंग में भाग नहीं लिया। इस घटनाक्रम से यह भी साफ होता है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के तीन सालों में यह पहला मौका है जब अमेरिका ने यूरोपीय देशों से अलग रुख अपनाया है। यह अमेरिकी विदेश नीति में एक अहम बदलाव को भी दर्शाता है।















