दिल्ली दंगों से पहले ही टूट गया इंडिया गठबंधन : AAP के समर्थन में कई दल

योगेश श्रीवास्तव

लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए को हराने के मकसद से बना भारत गठबंधन दिल्ली चुनाव से पहले ही बिखरता नजर आ रहा है। लोकसभा चुनाव के दौरान अंत तक नेतृत्व को लेकर इंडिया गठबंधन में शामिल दलों में रस्साकशी चलती रही। लोकसभा चुनाव खत्म हो गए लेकिन भारत गठबंधन अपना नेता तय नहीं कर सका।

भारत गठबंधन में शामिल क्षेत्रीय दल अब धीरे-धीरे अलग होकर अकेले चलने लगे हैं। सीटों के बंटवारे को लेकर इस गठबंधन को लोकसभा चुनाव के दौरान ही झटके लगने लगे थे। यूपी में सीटों का बंटवारा अंत तक नहीं हो पाया तो अंत में कांग्रेस को सपा के रहमोकरम पर 17 सीटों पर ही सब्र करना पड़ा। हाल ही में प्रदेश में नौ सीटों पर हुए उपचुनाव में सपा और कांग्रेस के बीच समझौता नहीं हो पाया। कांग्रेस ने किसी भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ा, उसके नेता महाराष्ट्र में प्रचार करने चले गए। सपा ने सभी नौ सीटों पर अकेले चुनाव लड़ा। कांग्रेस ने इन उपचुनावों से पूरी तरह दूरी बनाए रखी।

पांच फरवरी को मिल्कीपुर में होने वाले उपचुनाव के लिए सपा पहले ही सांसद अवधेश प्रसाद के पुत्र अजीत प्रसाद को अपना प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। इसका मतलब यह है कि सपा पहले ही मान चुकी है कि मिल्कीपुर में कांग्रेस चुनाव नहीं लड़ेगी। मिल्कीपुर से पहले कांग्रेस नौ सीटों पर चुनाव लड़ चुकी है। उपचुनाव में कहीं भी कांग्रेस प्रत्याशी का न होना यह साफ कर देता है कि कांग्रेस इन उपचुनावों में कहीं नजर नहीं आ रही है। नौ सीटों पर हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जो दो सीट चाहती थी उसकी जगह सपा उसे एक और सीट दे रही थी जिस पर कांग्रेस को चुनाव लड़ना था। कांग्रेस ने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था।

हालांकि उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने पर्यवेक्षक और प्रभारी नियुक्त किए थे लेकिन सीट न मिलने पर उसकी सारी तैयारियां बेकार हो गई। यूपी में सपा भारत गठबंधन का नेतृत्व कर कांग्रेस को किसी भी कीमत पर हराने जा रही है। देने के पक्ष में नहीं थी। यूपी की तरह बिहार में भी भारत गठबंधन खत्म होता दिख रहा है।

भारत गठबंधन में शामिल आरजेडी का भी भारत से मोहभंग होता दिख रहा है, यही कारण है कि आरजेडी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने साफ तौर पर कहा है कि भारत गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव तक के लिए था. कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भी कुछ ऐसी ही बात कही. भारत गठबंधन को लेकर क्षेत्रीय दलों की ओर से की जा रही बयानबाजी पर उन्होंने कहा कि भारत ब्लॉक का गठन लोकसभा चुनाव के लिए हुआ था। अब क्षेत्रीय दल अपनी सुविधा के हिसाब से फैसले ले रहे हैं। भारत गठबंधन के आर्किटेक्ट रहे जेडीयू प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस समय एनडीए में अहम खिलाड़ी हैं।

दरअसल, इस गठबंधन के टूटने की नींव तभी पड़ गई थी जब नीतीश कुमार एनडीए का हिस्सा बन गए थे। भारत गठबंधन गठबंधन में जारी कड़वाहट के बीच नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा कि भारत गठबंधन में न तो कोई नेतृत्व है और न ही कोई एजेंडा है.अगर गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव तक ही था तो इसे अब खत्म कर देना चाहिए। इसमें शामिल दलों की ओर से आ रहे बयानों पर शिवसेना (ठाकरे) गुट के नेता संजय राउत ने कहा कि अगर इस बार यह गठबंधन टूटा तो फिर दोबारा गठबंधन करना संभव नहीं होगा।

लोकसभा चुनाव के दौरान भी भारत गठबंधन न तो अपना नेतृत्व तय कर पाया था और न ही पीएम का चेहरा कौन हो इस पर अंत तक कोई निर्णय नहीं हो पाया था। बीच में तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने पीएम पद के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम सुझाया था लेकिन तब कांग्रेस समेत सहयोगी दलों ने इसे खारिज कर दिया था। लोकसभा चुनाव के बाद एक बार फिर भारत गठबंधन के प्रमुख का नाम सुझाया गया। जब फैसला करने के लिए बहस चली तो एनसीपी प्रमुख शरद पवार समेत कई पार्टी नेताओं ने इसके लिए ममता बनर्जी का नाम सुझाया लेकिन उस पर भी आम सहमति नहीं बन पाई।

कई क्षेत्रीय दल आप के साथ

भारत गठबंधन का हिस्सा रही आम आदमी पार्टी ने हरियाणा में कांग्रेस और भारत गठबंधन में शामिल अन्य दलों की परवाह किए बिना अपने दम पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उसका खाता भी नहीं खुला था। आप को हरियाणा में भी पंजाब जैसा चमत्कार की उम्मीद थी। ऐसा कुछ नहीं हुआ। अब जब दिल्ली में चुनाव होने जा रहे हैं तो समाजवादी पार्टी, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और कुछ अन्य क्षेत्रीय दलों ने आप को समर्थन देने का ऐलान किया है। इसके बाद यह साफ है कि भारत गठबंधन में कांग्रेस अलग-थलग पड़ती जा रही है। ऐसा होता ही रहा है।

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