नई दिल्ली। वायु प्रदूषण के कारण राजधानी दिल्ली में आंखों के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया है। राजधानी में आंखों में सूखापन, जलन और एलर्जी जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं, जिसे एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस कहा जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रदूषण आंखों के लिए एक गंभीर खतरा है, खासकर कंजंक्टिवा और कॉर्निया के लिए। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण से उत्पन्न सूक्ष्म कण आंखों की सतह को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे एलर्जी होने का खतरा बढ़ जाता है।
विशेष रूप से वे लोग, जो पहले से सूखी आंखों या एलर्जी से ग्रस्त हैं, प्रदूषण के संपर्क में आने से उनकी समस्याएं और बढ़ सकती हैं। हाल ही में किए गए एक शोध से पता चला है कि पीएम10 के संपर्क में आने वाले क्षेत्रों में रहने वालों को आंखों के संक्रमण का जोखिम दोगुना हो सकता है। शोध में यह भी सामने आया है कि प्रदूषण से उत्पन्न कणों के वातावरण में मौजूद होने से कॉर्निया, कंजंक्टिवा और पलकों से संबंधित समस्याओं वाले मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है। विशेषज्ञों के अनुसार, आंखों को बार-बार रगड़ने से कॉर्निया कमजोर हो सकता है और केराटोकोनस जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें कॉर्निया पतला हो जाता है और शंकु के आकार में उभर जाता है, जिससे दृष्टि प्रभावित होती है। इसके सामान्य लक्षणों में खुजली, पानी आना, जलन, लालिमा और सामान्य दर्द शामिल हैं। गंभीर मामलों में वायु प्रदूषण से आंखों में दर्द और दृष्टि धुंधली हो सकती है, जिसके लिए तुरंत इलाज की आवश्यकता हो सकती है। विशेषज्ञों ने डॉक्टर की सलाह के बिना दवाइयां लेने से बचने की सलाह दी है। आंखों को प्रदूषण से बचाने के लिए लुब्रिकेटिंग ड्रॉप्स का उपयोग करने, ठंडी पट्टियां लगाने और धूल से बचने के लिए चश्मा या धूप का चश्मा पहनने का सुझाव दिया गया है।
एलर्जी से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए एंटी-एलर्जिक आई ड्रॉप्स और समय पर उपचार आवश्यक है। विशेषज्ञों ने यह भी सलाह दी है कि जब प्रदूषण अपने चरम पर हो, तो बाहर निकलने से बचें और घर के अंदर रहें। प्रदूषण केवल श्वसन संबंधी समस्याओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आंखों और पूरे शरीर पर भी हानिकारक प्रभाव डालता है। बता दें कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, बुधवार सुबह दिल्ली की वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में रही, जिसमें सुबह 10 बजे औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 427 था, जिससे दिल्ली भारत का सबसे प्रदूषित शहर बन गया।