
- अवैध गेस्टहाउस में रोजाना डीजे के शोर से समूचा मोहल्ला परेशान
- जैन परिवार ने थाने में गुहार लगाई तो फर्जी मामले में फंसा दिया
- पित्रा-पुत्र पर गंभीर धाराओं में एफआईआर, दस लाख रंगदारी मांगी
- खाकी वर्दी और काली सदरी ने एफआर के नाम पर ढाई लाख वसूले
भास्कर ब्यूरो
कानपुर। इम्तिहान सिर पर था, लेकिन रोजाना रात एक बजे तक किशोरी वाटिका की दीवारों को फाड़कर बाहर गूंजता डीजे का कानफोड़ू शोर परेशान किये था। कभी शादी-शगुन तो कभी बर्थ-डे पार्टी। दरवाजों को छेककर खड़ीं आड़ी-तिरछी कार-बाइक से बाहर निकलना भी मुश्किल था। परेशान तमाम परिवार थे, लेकिन साकेत दरबार के खिलाफ आवाज उठाने का अंजाम जानते थे, लिहाजा जुबान पर लॉक लगा था। जैन परिवार से दरबार और थाने में शिकायत दर्ज कराने की गुस्ताखी हुई तो कहर बरपने लगा। फऱियाद को दरबार ने शान में तौहीन समझ लिया था। आका के इशारे पर पिता के साथ मासूम को गंभीर धाराओं के मुकदमे में उलझा दिया गया। रहम के एवज में दस लाख की रंगदारी मांगी गई। मुकदमा हल्का करने के लिए दरबार के गुलाम इंस्पेक्टर और काली सदरी वाले ने दो लाख रुपए से ज्यादा वसूल लिए। अखिलेश और अवैध किशोरी वाटिका पर कानून का शिकंजा कसा तो गुर्गो ने जैन परिवार को मुल्जिम मान लिया है। धमकियां बेइंतहां हैं, ऐसे में खौफ के कारण घर बेचने की मुनादी हुई है।
गुहार लगाना गुनाह, बेटा मुल्जिम बना
सरकारी पार्क में किशोरी वाटिका की कहानी तो पुरानी है। अवैध गेस्टहाउस की पड़ोसी आशा जैन ने वर्ष 2020 में इंजीनियरिंग की राह पर बढ़ते बच्चे की पढ़ाई की मुश्किल को देखकर साकेत दरबार और किदवईनगर थाने में तयशुदा मियाद के बाद भी डीजे के शोर की शिकायत दर्ज कराई तो आफत टूट पड़ी। 06 मार्च 2020 को आशा जैन का बेटा आईआईटी की प्रवेश-परीक्षा का एडमिट कार्ड लेने निकला था। लौटते वक्त किदवई नगर थाने के दीवान संतोष सिंह ने वाहन चेकिंग की आड़ में पहिया में डंडा फंसाकर बाइक को गिराया तो बच्चा चोटिल हो गया, लेकिन उस वक्त खून और पिता प्रदीप जैन का क्रोध देखकर सिर्फ चालान किया गया। अगले दिन जानकारी हुई कि, किदवईनगर थाने में पिता-पुत्र के खिलाफ गंभीर धाराओं में एफआईआर लिखी गई है।
इंस्पेक्टर ने बुलाया और शागिर्द के हवाले किया
पत्रकार के जरिए जैन परिवार को दरबार के गुलाम इंस्पेक्टर धनेश कुमार ने बुलाया और राहत के लिए दरबार के शागिर्द शुभम के हवाले कर दिया। आरोप है कि, शुभम ने अगले दिन आशा जैन को दरबार में हाजिर किया तो अखिलेश दुबे ने डीजे के शिकायत का उलाहना देते हुए धमकाया और दस लाख की रंगदारी मांगी। आशा जैन का कहना है कि, अखिलेश ने ऐलान किया कि, दस लाख नहीं मिले तो बच्चे समेत उन्हें जेल में सड़ा देगा। आशा ने बच्चे के करियर की खातिर हाथ-पैर जोड़कर गुहार लगाई तो दरबारियों ने उसे भगा दिया। दरबार में चढ़ावा नहीं पहुंचा तो किदवईनगर पुलिस ने मिनी गुंडाएक्ट की कार्रवाई के साथ चार्जशीट दाखिल करने में देरी नहीं दिखाई। बेटे को साजिशन मुकदमों में फंसाने की आहट देखकर आशा जैन को मजबूर होकर अपने बेटे को परदेस भेजना पड़ा था।
दरवाजे पर टांगा मकान बिकाऊ का बोर्ड
उस वक्त धाराएं हल्की करने और कथित तौर पर बाइक की टक्कर से जख्मी दीवान के इलाज के नाम पर प्रदीप-आशा जैन से सवा दो लाख वसूले गए थे। आज के दौर में अखिलेश दुबे पर आफत आई तो किशोरी वाटिका की अवैध इमारत पर आंच आई। ऐसे में दरबार के शागिर्दो ने जैन परिवार को जिम्मेदार मानते हुए डराना-धमकाना शुरू कर दिया है। अखिलेश के आतंक से सहमा परिवार किसी वक्त अनिष्ट की आशंका से भयभीत है। आशा जैन अब मकान बेचकर साकेत दरबार से दूर किसी सुकून वाली बस्ती में जिंदगी गुजारना चाहती हैं। जैन परिवार ने घर के दरवाजे पर बिकाऊ का बैनर टांग दिया है, लेकिन दरबार की इजाजत के बगैर कोई खरीदार आगे नहीं आएगा।