Seema Pal
सपा प्रमुख अखिलेश यादव दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को समर्थन दे रहे हैं। अब अपने ही इस फैसले से अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश की राजनीति में बुरी तरह फंस चुके हैं। दिल्ली में आप को समर्थन देने के बाद समाजवादी पार्टी से कांग्रेस के साथ रिश्तों में खटास पड़ती दिख रही है। उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का एलान किया है। ऐसे में आम आदमी पार्टी के साथ राजनीतिक संबंध बनाने के चलते अखिलेश यादव के लिए कांग्रेस का विश्वास जीतना अब बड़ी चुनौती बन गया है।
इधर जाऊं या उधर जाऊं की स्थिति में फंसे अखिलेश यादव ने आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को लेकर अपना स्टैंड क्लियर कर दिया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने यह साफ कर दिया है कि दिल्ली में आप को समर्थन देने का मतलब कांग्रेस का विरोध करना नही है। उन्होंने कहा कि वह इंडिया गठबंधन के उद्देश्य के अनुसार कार्य कर रहे हैं। इंडिया गठबंधन की लड़ाई भाजपा के साथ है, अन्य दलों के साथ नहीं। इसलिए जहां पर भाजपा को हराने की स्थिति जो दल मजबूत होगा वहां पर उसी दल को समर्थन दिया जाएगा। यही इंडिया गठबंधन और सपा की रणनीति है।
बीते गुरुवार को अखिलेश यादव ने आम आदमी पार्टी और सपा के साझा मंच से INDIA गठबंधन के भविष्य को लेकर चल रहीं अटकलों पर विराम लगा दिया। दरअसल, सात जनवरी को अखिलेश यादव ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में AAP को समर्थन देने और उनके साथ चुनावी मंच साझा करने की घोषणा की थी। तब से उनके इस निर्णय को सपा-कांग्रेस के बीच दूरी बढ़ने से जोड़कर देखा जा रहा था। दोनों दलों के 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में साथ लड़ने काे लेकर भी अटकलें तेज हो गईं थी।