15 मार्च 2012 को यूपी की सियासत में हुई थी टीपू की एंट्री, पार लगाई थी सपा की नईया

Seema Pal

Akhilesh Yadav 52thBirthday : उत्तर प्रदेश की राजनीति में ताज पहनना आसान नहीं था। ऊपर से, यूपी की सियासत में ‘टीपू’ यानी अखिलेश यादव की एंट्री हुई तो समाजवादी पार्टी की पहले से ही साढे साती ढईया चल रही थी। सपा के मुखिया व दिवंगत नेता मुलायम सिंह यादव का सिक्का राजनीति में फीका हो रहा था। उस समय लंदन से राजनीति की पढ़ाई कर के लौटे युवा सोच से भरे अखिलेश यादव पर सबकी नजरे टिक गई। फिर इसी युवा ने सपा की राजनीति को एक बार फिर से पटरी पर उतारा और 38 साल की उम्र में अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की सत्ता का ताज पहना था। पिछले आठ सालों से अखिलेश यादव विपक्ष में बैठकर सियासी लड़ाई लड़ रहे हैं।

आज अखिलेश यादव का 52वां जन्मदिन है। आईए इस मौके पर उनके सियासी करियर पर नजर डालते हैं…

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का आज 52वां जन्मदिन है। सपाई उनका जन्मदिन लोक कल्याण दिवस के रूप में मना रहे हैं। आज भले ही अखिलेश यादव विपक्षी नेता की भूमिका में उत्तर प्रदेश की सियासत के लिए उठापठक करते दिखाई दे रहे हो, लेकिन एक समय था जब राजनीति में उनकी एंट्री ने बसपा सुप्रमो मायावती की रातों की नींदें उड़ गई थी। उस समय यूपी में बसपा सरकार थी और अखिलेश यूपी में युवा चेहरा बनकर उभर रहे थे।

अखिलेश यादव का जन्म 1 जुलाई 1973 को इटावा के सैफाई में समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव और मालती देवी के घर पर हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजस्थान के धौलपुर मिलिट्री स्कूल से, फिर मैसूर यूनिवर्सिटी से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई की। बाद में अखिलेश यादव ने ऑस्ट्रेलिया के सिडनी यूनिवर्सिटी से पर्यावरण इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की। इसके बाद वह भारत लौट आए।

सितंबर, 2000 में अखिलेश यादव ने राजनीति में की थी एंट्री

अखिलेश यादव ने सितंबर, 2000 में कन्नौज लोकसभा सीट से उपचुनाव जीतकर राजनीति में एंट्री की थी। इसके बाद उन्हें समाजवादी पार्टी की डोर संभालने के लिए योग्य करार कर दिया गया था। उन्होंने अपने पिता मुलायम सिंह यादव की विरासत को संभालते हुए युवा और आधुनिक सोच के साथ अपने कदम बढ़ाने शुरू कर दिए थे। अखिलेश यादव ने तीन बार लोकसभा सासंद बनकर युवाओं की आवाज को मुद्दा बनाया और सपा को राजनीति में नई उम्मीद दी।

यूपी की कुर्सी मिलने से कुर्सी छिनने तक का सफर

अखिलेश यादव के जीवन में बड़ा दिन तब आया जब 15 मार्च 2012 को महज 38 साल की उम्र मे उन्होेंने उत्तर प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री बनकर शपथ ली। यह किसी युवा नेता के लिए पहली बार था कि राजनीति में केवल पांच साल बिताने के बाद ही सीएम की कुर्सी में बैठा हो। अखिलेश यादव ने सूबे की जिम्मेदारी संभालते हुए समाजवादी विकास का नया एजेंडा पेश किया। जिसमें युवाओं, किसानों और समाज के वंचित वर्गों के हितों को प्राथमिकता दी दी गई। इसके बाद 2017 में योगी आदित्यानाथ के भाजपा के लिए विधानसभा चुनाव जीतकर प्रदेश की कुर्सी अखिलेश यादव से छीन ली और तब से लेकर अबतक अखिलेश विपक्ष के रूप में सियासी लड़ाई लड़ रहे हैं।

मगर, अखिलेश यादव अपने पूरे राजनीतिक करियर में सिर्फ एक बार ही मुख्यमंत्री बन पाए। उन्हें दोबारा यूपी विधानसभा चुनाव में केवल हार का सामना करना पड़ा। आज विपक्ष में रहकर अखिलेश यादव सत्ता पक्ष के खिलाफ लोगों की आवाज उठा रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने कांग्रेस के साथ हाथ भी मिला लिया है। फिलहाल, अखिलेश यादव आगामी विधानसभा चुनाव को जीतने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं।

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