
नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा कांग्रेस नेताओं पर दाखिल आरोप-पत्र को लेकर देश की राजनीति में उबाल आ गया है। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर कांग्रेस और ईडी दोनों को आड़े हाथों लिया। ओडिशा में मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने ईडी जैसी एजेंसी को ही समाप्त करने की मांग कर दी।
“कांग्रेस ने ही ईडी बनाई, अब खुद भुगत रही है” – अखिलेश
अखिलेश यादव ने कहा कि “नेशनल हेराल्ड से ज्यादा मुझे ईडी पर कहना है। कांग्रेस ने ही ईडी जैसी एजेंसियां बनाईं और आज वही उनके लिए सबसे बड़ी परेशानी बन गई हैं।”
उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, “ईडी की कोई जरूरत ही नहीं है। आर्थिक अपराधों के लिए पहले से कई एजेंसियां मौजूद हैं। ईडी जैसे विभाग को तो खत्म कर देना चाहिए।”
योगी सरकार पर भी साधा निशाना
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘डंडा चलाने’ वाले बयान पर तंज कसते हुए अखिलेश ने कहा, “जो यूपी को अंडा बना दिए हैं, वो अब डंडे की बात कर रहे हैं।”
सपा प्रमुख ने यह भी जोड़ा कि वे ओडिशा में सपा को मजबूत करने की योजना बना रहे हैं। “ओडिशा कई बार आया हूं, लेकिन लंबे वक्त बाद आया हूं। हमारी कोशिश होगी कि समाजवादी विचारधारा यहां भी जड़ें जमाए।”
क्या है नेशनल हेराल्ड मामला?
15 अप्रैल 2025 को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 988 करोड़ रुपये की धनशोधन की शिकायत के आधार पर कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी, और अन्य के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया।
इस मामले में जिन अन्य प्रमुख लोगों को आरोपी बनाया गया है उनमें शामिल हैं:
- सैम पित्रोदा
- सुमन दुबे
- यंग इंडियन कंपनी
- डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड
- सुनील भंडारी
विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने कहा कि इस आरोप-पत्र की सुनवाई अगली बार 25 अप्रैल 2025 को होगी, जहां ईडी और जांच अधिकारी केस डायरी कोर्ट में पेश करेंगे।
राजनीतिक मायने
अखिलेश यादव के इस बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि विपक्ष न केवल सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठा रहा है, बल्कि कांग्रेस से दूरी बनाकर खुद को अलग भी स्थापित कर रहा है। वहीं, ईडी की भूमिका को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है कि क्या यह एजेंसी निष्पक्ष है या राजनीतिक हथियार?