अखिलेश दुबे को राहत की उम्मीदों के जुगनू टिमटिमाए, बिटिया दस्तावेज लेकर पहुंची

  • लखनऊ से एडीजी रैंक के अधिकारी की सिफारिश पर मुलाकात की चर्चा
  • दस्तावेज के जरिए तमाम मामलों को आंचल दुबे ने मनगढ़ंत करार दिया
  • स्कूल भूमि पर जबरिया पार्क की कहानी आशीष ने सिलसिलेवार सुनाई

भास्कर ब्यूरो
कानपुर। एक पखवारे की चुप्पी के बाद साकेत दरबार की कहानी फिर शहर में गूंजी है। शहर में खाकी वर्दी के नए निजाम से साकेत दरबार को राहत की उम्मीद है, जबकि मोर्चा लेने वालों को इंसाफ की लड़ाई में सहयोग की आकांक्षा है। अपनी-अपनी उम्मीदों के दीये लेकर दोनों पक्षों ने बुधवार को पुलिस कमिश्नर के सामने उत्पीड़न की दास्तां और बेगुनाही की कहानी सुनाई। गुहार-फरियाद लगाने वालों को ठोस मुकम्मल आश्वासन की चाहत थी, लेकिन नए निजाम ने धैर्य के साथ किस्सा-कहानी सुनने के बाद गुण-दोष और साक्ष्यों के आधार पर इंसाफ का भरोसा थमाकर विदा कर दिया। उधर, अदालत में साकेत दरबार की विषकन्या ने फिर शिकार फंसाने के लिए फर्जी आरोपों का किस्सा बयां करते हुए साकेत दरबार की डरावनी कहानी सुनाई।

एडीजी की सिफारिश के बाद आंचल की मुलाकात !
बुधवार की दोपहर शहर में चर्चा आम हुई कि, नए पुलिस कमिश्नर के जरिए साकेत दरबार राहत की टकटकी लगाए है। जल्द ही फिर मददगारों का कुनबा पैरवी-सिफारिश में जुटेगा। चर्चा थी कि, लखनऊ से एडीजी स्तर के अधिकारी ने मौजूदा पुलिस कमिश्नर से आग्रह किया है कि, एक बारगी अखिलेश दुबे की बिटिया की बात सुननी चाहिए। ढाई बजे दोपहर आंचल दुबे अचानक पुलिस दफ्तर पहुंच गईं तो चर्चा की सच्चाई पर कुछ-कुछ यकीन होना लाजिमी था। अलबत्ता अखिलेश दुबे के खिलाफ मोर्चा थामे आशीष शुक्ला और मनोज सिंह भी आंचल दुबे के साथ कमिश्नर के पीआरओ के कक्ष में मौजूद थे। यह तस्वीर शहर को चौंकाने के लिए काफी थी। सुलझे मिजाज के पुलिस कमिश्नर रघुवीर लाल ने दोनों पक्षों को बुलाकर इत्मीनान से सुना और साक्ष्यों के आधार पर इंसाफ का भरोसा दिलाकर वापस भेजा।

दस मिनट में सुनाया सिंडिकेट का किस्सा
स्कूल के लिए आवंटित जमीन पर जबरिया पार्क आबाद करने का किस्सा सुनाकर जवाहर विद्या समिति के आशीष शुक्ला ने अखिलेश दुबे के साथ-साथ दरबार के सहयोगी भूपेश अवस्थी को कठघरे में खड़ा करते हुए दक्षिण शहर में तमाम पार्कों में साकेत दरबार के दखल के दस्तावेज हाजिर किये। उन्होंने निचली अदालत लगायत सुप्रीमकोर्ट और एनजीटी में जीत का दावा प्रस्तुत करते हुए बताया कि, विकास प्राधिकरण ने अदालती आदेशों का माखौल बना दिया है। अधिवक्ता मनोज सिंह ने फर्जी मामले में एफआईआर और एफआर का किस्सा सुनाकर शिकायती-पत्र पर न्याय की गुहार लगाई। पुलिस कमिश्नर ने आशीष-मनोज को सुनने के बाद इंसाफ की लड़ाई में गुण-दोष के आधार पर पुलिस सहयोग का वादा किया है।

40 मिनट में पापा की बेगुनाही की दास्तां
आशीष-मनोज के बाद अखिलेश दुबे की बिटिया आंचल दुबे ने तमाम दस्तावेज के जरिए तकरीबन 40 मिनट तक अपने पापा को बेगुनाही साबित करने की कोशिश के साथ शिकायतों को बेबुनियादी करार दिया। आंचल ने पार्कों पर कब्जे और फर्जी शिकायतों के जरिए चरित्र-हनन और ब्लैकमेलिंग-उगाही के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए दावा किया कि, शहर में सक्रिय एक सिंडिकेट के जरिए अखिलेश दुबे को बदनाम करने और जेल में कैद रखने की साजिश हुई है। उन्होंने पूछताछ के बहाने बुलाने के बाद पिता को गिरफ्तार करने के तौर-तरीके पर आपत्ति जताई। पुलिस कमिश्नर ने धैर्य के साथ साकेत दरबार का पक्ष सुनने के बाद बताया कि, जिन मामलों में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है, ऐसे मामलों में अदालत में न्याय होगा। शेष मामलों में साक्ष्यों के आधार पर पुलिस कार्रवाई करेगी।

विषकन्याओं ने कोर्ट को सुनाई खौफनाक दास्तां
कानपुर। रवि सतीजा और ध्रुव गुप्ता की इज्जत को नीलाम करने के लिए साकेत दरबार के इशारे पर इस्तेमाल हुईं सगी बहनों ने अदालत को सिलसिलेवार फर्जी आरोपों में एफआईआर की कहानी को सुनाया। कोर्ट ने विष कन्या की उपाधि से बदनाम हुईं सगी बहनों निशा और गीता की बेगुनाही पर यकीन करते हुए फर्जी मुकदमा दर्ज कराने के अपराध का हिस्सेदार नहीं मानते हुए राहत देते हुए रवि सतीजा पर दर्ज झूठे मुकदमे की फाइनल रिपोर्ट (एफआर) को स्वीकृत कर लिया। उधर, प्रज्ञा त्रिवेदी के 14 साल पुराने मामले की दोबारा विवेचना के बाद बुधवार को दक्षिण पुलिस नेन्यायिक रिमांड की अर्जी लगाई थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।
बर्रा थाने में जनवरी 2024 में दर्ज दुष्कर्म की फर्जी कहानी की एफआईआर की फाइनल रिपोर्ट को स्वीकृत करने के लिए सीजेएम कोर्ट में सुनवाई मुकर्रर थी। इस दरमियान, एफआईआर दर्ज कराने वाली निशा कुमारी ने कोर्ट को बताया कि, 04 जनवरी 2024 को छोटी बहन निशा के साथ रवि सतीजा के सोना मेंशन होटल नहीं गई थी। दोनों बहनों ने अखिलेश दुबे के फर्जीवाड़े की कहानी सुनाते हुए कहाकि, अखिलेश दुबे और उसके साथियों ने डरा-धमकाकर एक प्रार्थना-पत्र पर दस्तखत कराए थे। अनपढ़ होने के कारण कागज में लिखी बात को समझ नहीं पाई, मौजूद लोगों ने पढ़कर सुनाया भी नहीं। दोनों बहनों ने कहाकि, अखिलेश दुबे के खौफ के कारण न्यायालय में आकर प्रार्थना-पत्र सौंपा था। निशा-गीता ने कहाकि, रवि सतीजा के खिलाफ दर्ज शिकायत फर्जी और झूठी थी। ऐसे में पुलिस के एफआर पर कोई आपत्ति नहीं है। फाइनल रिपोर्ट के खिलाफ कोई प्रोटेस्ट दाखिल नहीं करना है, न किसी अधिवक्ता को अधिकृत किया है। गौरतलब है कि, एफआर को प्रोटेस्ट करने के लिए बिलाल नामक अधिवक्ता को वकालतनामा कोर्ट में दाखिल किया गया था, लेकिन बिलाल ने इसे अपने मुंशी की करतूत बताया था। अखिलेश दुबे के खिलाफ मोर्चा थामे सौरभ भदौरिया का कहना है कि, प्रदेश में जीरो टॉलरेंस नीति जारी है, लेकिन एक सीनियर आईपीएस खुलकर सफेदपोश माफिया की पैरवी में जुटा है। उन्होंने मुख्यमंत्री से अखिलेश दुबे प्रकरण में अफसरों की मिलीभगत की जांच कराने का आग्रह किया है।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें