आगरा : रेड-लाइट क्षेत्र से किशोरी की वापसी ने उजागर की मानव तस्करी की भयावह सच्चाई, नौकरी का लालच देकर ले गए थे दिल्ली

  • नौकरी का लालच देकर दिल्ली ले गए, जहां उसे देह व्यापार करने के लिए मजबूर किया गया
  • नाबालिग के साथ दुष्कर्म, तीन गिरफ्तार

आगरा। उत्तर प्रदेश के आगरा में एक 15 वर्षीय किशोरी की वापसी ने मानव तस्करी की क्रूर वास्तविकता को फिर से सामने ला दिया है। तीन महीने पहले लापता हुई इस किशोरी को दिल्ली के एक रेड-लाइट क्षेत्र से बरामद किया गया। आगरा पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें एक महिला तस्कर और दो पुरुष शामिल हैं। प्रारंभिक जांच से पता चला कि किशोरी को नौकरी का लालच देकर दिल्ली ले जाया गया, जहां उसे देह व्यापार में मजबूर किया गया। यह घटना मानव तस्करी के बढ़ते खतरे और समाज की कमजोर कड़ियों को उजागर करती है।

घटना का खुलासा –

पुलिस के अनुसार, किशोरी आगरा के एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखती है। दिसंबर 2024 में वह अचानक अपने घर से गायब हो गई थी। परिजनों ने स्थानीय थाने में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज की, लेकिन शुरुआती तलाश बेनतीजा रही। दिल्ली पुलिस को मिली गुप्त सूचना के आधार पर किशोरी को गाजीपुर के रेड-लाइट क्षेत्र से मुक्त कराया गया। पूछताछ में किशोरी ने बताया कि एक पड़ोस की महिला ने उसे दिल्ली में नौकरी दिलाने का वादा किया था। लेकिन वहां पहुंचते ही उसे एक दलाल के हवाले कर दिया गया, जिसने उसे जबरन वेश्यावृत्ति में धकेल दिया।

तस्करी का संगठित नेटवर्क –

जांच में सामने आया कि यह एक संगठित मानव तस्करी रैकेट का हिस्सा था, जो गरीब और अशिक्षित परिवारों की लड़कियों को निशाना बनाता है। तस्कर सोशल मीडिया और स्थानीय बिचौलियों के जरिए कमजोर परिवारों तक पहुंचते हैं। किशोरी ने अपने बयान में कहा कि उसे नशीली दवाएं दी गईं और कई बार शारीरिक हिंसा का सामना करना पड़ा। गिरफ्तार महिला तस्कर पहले भी कई नाबालिग लड़कियों को दिल्ली और अन्य शहरों में भेज चुकी है। पुलिस अब इस रैकेट के अन्य सदस्यों की तलाश में दिल्ली और उत्तर प्रदेश में छापेमारी कर रही है।

कानूनी और सामाजिक कदम –

आगरा पुलिस ने तीनों आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 370 (मानव तस्करी), 376 (दुष्कर्म), और POCSO एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। किशोरी को मेडिकल जांच और मनोवैज्ञानिक सहायता के लिए सरकारी आश्रय गृह में भेजा गया है। गैर-सरकारी संगठन (NGO) उसकी शिक्षा और पुनर्वास के लिए काम कर रहे हैं। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना की निंदा करते हुए सरकार से मानव तस्करी के खिलाफ सख्त कानून और जागरूकता अभियान चलाने की मांग की है।

मानव तस्करी की गंभीर समस्या –

मानव तस्करी भारत में एक गंभीर संकट है। संयुक्त राष्ट्र की 2022 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल लाखों महिलाएं और बच्चे तस्करी का शिकार बनते हैं, जिनमें से अधिकांश को देह व्यापार, जबरन श्रम, या अंग तस्करी के लिए इस्तेमाल किया जाता है। गरीबी, शिक्षा की कमी, और सामाजिक जागरूकता का अभाव इस अपराध को बढ़ावा देते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि तस्कर अब डिजिटल प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे यह समस्या और जटिल हो गई है।

समाज से अपील –

आगरा के पुलिस अधीक्षक ने जनता से अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत सूचना पुलिस को दें। उन्होंने कहा, “हम इस तस्करी नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” इस घटना ने समाज को झकझोर कर रख दिया है और यह सवाल उठाता है कि मानव तस्करी जैसे जघन्य अपराध को रोकने के लिए और क्या कदम उठाए जाने चाहिए। जागरूकता, शिक्षा, और सख्त कानूनी कार्रवाई ही इस बुराई को जड़ से मिटा सकती है।

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