
- बिजली कर्मचारी नेताओं पर हमलावर हुए ऊर्जा मंत्री
लखनऊ। कर्मचारी नेताओं द्वारा बिजली विभाग को मुख्यमंत्री द्वारा अपने हाथों में लिये जाने की अपील के बाद प्रदेश के ऊर्जा मंत्री ए.के.शर्मा ने कर्मचारी नेताओं पर मुफ्त में हवाई यात्रा के साथ विदेश यात्रा का लाभ लेकर टोरेंट कंपनी को निजीकरण के बाद आगरा सौंपने का आरोप लगाकर सनसनी फैला दी है। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री का एक्स पर किया गया संदेश चारों ओर चर्चा में है जिसके बाद से कर्मचारी नेताओं का कोई भी बयान अभी तक सामने नहीं आया है।
एक्स पर जारी किये गये पोस्ट पर ऊर्जा मंत्री ए.के.शर्मा ने कहा कि सुपारी लेने वालों में विद्युत कर्मचारी के वेश में कुछ अराजक तत्व भी हैं। कुछ विद्युत कर्मचारी नेता काफ़ी दिनों से परेशान घूम रहे हैं क्योंकि उनके सामने ऊर्जा मंत्री झुकते नहीं हैं। ये वही लोग हैं जिनकी वजह से बिजली विभाग बदनाम हो रहा है।ज्यादातर विद्युत अधिकारियों और कर्मियों के दिन-रात की मेहनत पर ये लोग पानी फेर रहे हैं। तीन वर्ष के कार्यकाल में ये लोग चार बार हड़ताल कर चुके हैं। पहली हड़ताल तो उनके मंत्री बनने के तीन दिन बाद ही होने वाली थी। अंततः बाहर से प्रेरित हड़ताल पर हड़ताल की इनकी शृंखला पर माननीय हाईकोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा। अन्य विभागों में हड़ताल क्यों नहीं हो रही? वहाँ यूनियन नहीं हैं क्या? वहाँ समस्या या मुद्दे नहीं हैं क्या? इन लोगों द्वारा ली गई सुपारी के तहत ही कुछ दिन पहले ये अराजक तत्व ऊर्जा मंत्री के सरकारी निवास पर आकर निजीकरण के विरोध के नाम पर छ घंटे तक अनेक प्रकार की अभद्रता किये और उनके और परिवार के विरुद्ध असभ्य भाषा का प्रयोग किए और ऊर्जा मंत्री ऐसे हैं कि इन्हें मिठाई खिलाये और पानी पिलाये तथा मिलने के लिए अढ़ाई घंटा प्रतीक्षा किए।
जहाँ तक निजीकरण का प्रश्न है इनसे कोई पूछे कि जब 2010 में टोरेंट कंपनी को निजीकरण करके आगरा दिया गया तब भी तुम लोग यूनियन लीडर थे। कैसे हो गया यह निजीकरण। सुना है वो शांति से इसलिए हो गया कि ये बड़े कर्मचारी नेता लोग हवाई जहाज़ से विदेश पर्यटन पर चले गए थे। दूसरा प्रश्न यह है कि जब तुम लोग सारी बातें बारीकी से जानते हो तो यह भी जानते ही होगे कि निजीकरण का इतना बड़ा निर्णय अकेला ए.के.शर्मा का नहीं हो सकता। जब एक जेई तक का ट्रांसफ़र ऊर्जा मंत्री नहीं करता, जब यूपीपीसीएल प्रबंधन की सामान्य कार्यशैली स्वतंत्र है तो इतना बड़ा निर्णय कैसे ऊर्जा मंत्री अकेले कर सकता है? वर्तमान में यह पूरा निर्णय चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में बनाई गई टास्क फोर्स ले रही है। उसके तहत ही सारी कार्यवाही हो रही है। राज्य सरकार की उच्चस्तरीय अनुमति से ही औपचारिक शासनादेश हुआ है निजीकरण का। ऊर्जा मंत्री के इस पोस्ट के बाद से अब तक किसी भी कर्मचारी नेता का कोई भी बयान अभी तक सामने नहीं आया है।