
David Headley: 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के सह-साजिशकर्ता तहव्वुर राणा को आखिरकार अमेरिका ने भारत को सौंप दिया है. गुरुवार को वह भारत पहुंचा और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उसे हिरासत में ले लिया. यह भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत है, लेकिन इसके साथ ही सवाल उठ रहे हैं, क्या अब अगला कदम डेविड कोलमैन हेडली की भारत वापसी होगा? वह हेडली, जो 26/11 का मुख्य साजिशकर्ता था और जिसे अमेरिका ने अब तक भारत को सौंपने से इनकार किया है.
राणा की गिरफ्तारी ने एक बार फिर डेविड हेडली को लेकर अमेरिका की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं. क्या हेडली वास्तव में एक डबल एजेंट था? क्या वह अमेरिका और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों के लिए समानांतर रूप से काम कर रहा था? और क्या यही वजह है कि अमेरिका उसे भारत को नहीं सौंपना चाहता?
डेविड हेडली पर अमेरिका का नरम रवैया
पूर्व गृह सचिव जी.के. पिल्लई के अनुसार, डेविड हेडली ने अमेरिकी सरकार और पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) दोनों के लिए एक डबल एजेंट के रूप में काम किया. 2013 में अमेरिका की अदालत ने हेडली को 35 साल की सजा सुनाई थी, लेकिन भारत की ओर से बार-बार प्रत्यर्पण की मांग के बावजूद, अमेरिका ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है.
क्या हेडली को प्राप्त है अमेरिका का संरक्षण?
पूर्व आईबी प्रमुख यशवर्धन झा आजाद का मानना है कि डेविड हेडली को अमेरिकी “डीप स्टेट” का समर्थन प्राप्त था. उनका दावा है कि वह एक समझौते के तहत अमेरिका की जेल में न्यूनतम सुरक्षा वाली सुविधा में सजा काट रहा है और अमेरिका उसे भारत को सौंपना नहीं चाहता.
भारत की कानूनी कोशिशें अब भी जारी
तहव्वुर राणा को भारत लाए जाने के बाद, डेविड हेडली के खिलाफ भी कानूनी प्रक्रिया को तेज करने की उम्मीद की जा रही है. विशेष लोक अभियोजक नरेंद्र मान को राणा के साथ-साथ हेडली के खिलाफ भी मुकदमा चलाने की जिम्मेदारी दी गई है. एनआईए के केस दस्तावेज़ RC-04/2009/NIA/DLI में डेविड कोलमैन हेडली को पहला आरोपी बताया गया है.
MEA का अस्पष्ट रुख
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल से जब पूछा गया कि क्या भारत ने हेडली के प्रत्यर्पण की कोशिशें छोड़ दी हैं, तो उन्होंने कहा, “इस पर अभी कोई अपडेट नहीं है. यह मामला चर्चा में बना हुआ है, लेकिन इसकी वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी बाद में दी जाएगी.”
गवाही से बदल सकता है रुख?
2016 में डेविड हेडली ने मुंबई की एक विशेष टाडा अदालत के सामने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए यह स्वीकार किया था कि उसे आतंकवादी गतिविधियों के लिए लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तान की ISI से फंड मिला था. इन खुलासों के आधार पर ही तहव्वुर राणा को आरोपी बनाया गया. विशेषज्ञों का मानना है कि राणा की भारत में गवाही से नए सबूत सामने आ सकते हैं जो हेडली के प्रत्यर्पण के लिए भारत की मांग को और मज़बूत बना सकते हैं.
अमेरिका क्यों कर रहा है देरी?
राजदीप सरदेसाई ने एक्स (X) पर लिखा, “अगर वॉशिंगटन वास्तव में 26/11 के आतंकियों को सज़ा दिलाने को लेकर गंभीर है, तो डेविड हेडली को भी भारत को सौंपे.” उनके साथ ही कई सुरक्षा विशेषज्ञ भी अमेरिका की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं.
भारत की आतंक के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति
भारत की नीति आतंकवाद को लेकर स्पष्ट है कोई सहनशीलता नहीं. राणा की भारत वापसी इस नीति का प्रत्यक्ष प्रमाण है. अब यही उम्मीद जताई जा रही है कि डेविड हेडली के मामले में भी भारत नई रणनीति और सबूतों के साथ फिर से अमेरिका पर दबाव बनाएगा.