
इथियोपिया में मारबर्ग वायरस का पहला प्रकोप दर्ज हुआ है, जहां दक्षिणी क्षेत्र में नौ मामलों की पुष्टि हुई है. वायरस अत्यधिक घातक है और अब तक कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, लेकिन शुरुआती देखभाल से बचाव संभव है.
नई दिल्ली: इथियोपिया ने मारबर्ग वायरस के पहले प्रकोप की आधिकारिक पुष्टि कर दी है, जिससे वैश्विक स्वास्थ्य एजेंसियों की चिंताएँ बढ़ गई हैं। दक्षिणी क्षेत्र में मिले नौ मामलों ने खतरे का स्तर बढ़ा दिया है, क्योंकि यह वायरस अत्यंत घातक माना जाता है और मानव-से-मानव संक्रमण की इसकी क्षमता इसे और अधिक खतरनाक बनाती है।
इथियोपिया में मारबर्ग वायरस का पहला प्रकोप पुष्ट
मारबर्ग वायरस रोग (MVD) के ये मामले दक्षिणी इथियोपिया में दक्षिण सूडान की सीमा के पास पाए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने तत्काल प्रभाव से निगरानी बढ़ा दी है और प्रभावित क्षेत्रों में नियंत्रण उपायों को तेज कर दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पुष्टि की है कि यह वही स्ट्रेन है, जो पहले पूर्वी अफ्रीका के कई देशों में देखे गए प्रकोपों में पाया गया था। वायरस की औसत मृत्यु दर लगभग 50% मानी जाती है।
WHO और Africa CDC की चेतावनी
WHO ने कहा कि संक्रमित मरीजों में मिला स्ट्रेन हालिया पूर्वी अफ्रीकी प्रकोपों से मेल खाता है। वहीं, Africa CDC ने इथियोपिया की त्वरित कार्रवाई—सैंपल परीक्षण, संक्रमित क्षेत्रों की सीलिंग और निगरानी बढ़ाने—की सराहना की है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि शुरुआती रोकथाम ही इस वायरस के प्रसार को रोकने में सबसे महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।
वायरस का स्रोत और फैलने का तरीका
WHO के अनुसार, मारबर्ग वायरस का प्राकृतिक स्रोत Rousettus aegyptiacus प्रजाति के फलचमगादड़ हैं। संक्रमित चमगादड़ों से यह वायरस इंसानों में आता है और फिर संक्रमित व्यक्ति के शरीर द्रवों, वस्तुओं या सतहों के संपर्क में आकर तेजी से फैलता है। शुरुआती लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, तीव्र कमजोरी और मांसपेशियों में दर्द शामिल हैं। कई मामलों में एक सप्ताह के भीतर भीतरी रक्तस्राव की स्थिति बन सकती है।
लक्षण और उपचार
मारबर्ग वायरस के लिए अभी तक कोई वैक्सीन या विशेष उपचार उपलब्ध नहीं है। मरीजों का उपचार मुख्य रूप से सहायक चिकित्सा पर निर्भर करता है—जैसे हाइड्रेशन, ऑक्सीजन थेरेपी, दर्द नियंत्रण और रक्तस्राव की निगरानी। WHO का कहना है कि लक्षण दिखते ही उपचार शुरू करना ही मरीज की जान बचाने की सबसे बड़ी संभावना है।
वायरस का इतिहास
मारबर्ग वायरस की पहचान पहली बार 1967 में जर्मनी के मारबर्ग और फ्रैंकफर्ट तथा सर्बिया के बेलग्रेड में एक साथ हुए प्रकोपों के दौरान हुई। यह संक्रमण अफ्रीकी ग्रीन बंदरों पर किए जा रहे लैब रिसर्च के दौरान फैल गया था। इसके बाद अंगोला, घाना, गिनी, केन्या, दक्षिण अफ्रीका, तंजानिया और युगांडा में कई बार इस वायरस के मामले सामने आ चुके हैं।
2008 में दो पर्यटक युगांडा की एक चमगादड़ों से भरी गुफा से लौटने के बाद संक्रमित पाए गए थे। हाल के वर्षों में भी प्रकोप जारी हैं—रवांडा ने 2024 में और तंजानिया ने 2025 में अपने पहले मामलों की पुष्टि की थी।














