Twitter हैंडल बदलने के बाद रायबरेली की MLA अदिति सिंह ने कांग्रेस के सारे WhatsApp group भी छोड़े

उत्तर प्रदेश के रायबरेली से कॉन्ग्रेस विधायक अदिति सिंह ने शुक्रवार (जून 12, 2020) को पार्टी के सभी व्हॉट्सअप ग्रुपों को छोड़ दिया। रिपब्लिक भारत ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है।

इससे पहले अदिति सिंह ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से कॉन्ग्रेस का नाम हटा दिया था और उसकी जगह उन्होंने अपना हैंडल @AditiSinghRBL कर लिया था। उनके ट्विटर से INC (Indian National Congress) हटाते ही ट्विटर ने अदिति के आईडी से ब्लूटिक हटा दिया था।

इस दौरान , अदिति सिंह ने अपने सोशल मीडिया की प्रोफाइल से कॉन्ग्रेस के नाम सहित राहुल और सोनिया गाँधी की फोटो भी हटा दी थी। विधायक के इस तेवर के बाद माना जा रहा था कि वह अब पार्टी से जल्दी ही किनारा कर सकती हैं।

इससे पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपना ट्विटर प्रोफाइल और बॉयो बदला था। इसके कुछ महीनों बाद मध्य प्रदेश में बड़ा सियासी उलटफेर हुआ और कमलनाथ सरकार गिर गई थी।

अब उसी तरह कॉन्ग्रेस के गढ़ रायबरेली सदर की विधायक भी अलग राह चुनती दिख रही हैं। अदिति सिंह की इस कवायद को कहीं न कहीं उनकी पार्टी से बगावत से जोड़कर देखा जा रहा है। बता दें पिछले कुछ समय से अदिति सिंह और कॉन्ग्रेस पार्टी के बीच सब ठीक नहीं चल रहा।

पिछले दिनों ये खबरें भी आईं थीं कि अदिति सिंह को कॉन्ग्रेस ने महिला विंग के महासचिव पद से हटा दिया गया है। नवंबर में अदिति की विधायक की सदस्यता खत्म करने को लेकर भी कॉन्ग्रेस ने यूपी विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित को नोटिस दिया गया था। अदिति ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का भी समर्थन किया था।

अदिति सिंह ने गाँधी जयंती पर पार्टी के व्हिप का उल्लंघन करते हुए यूपी विधानसभा के विशेष सत्र में हिस्सा लिया था, जिसके बाद उन्हें नोटिस भी भेजा गया था। हालाँकि कॉन्ग्रेस विधायक ने नोटिस को ठेंगा दिखा दिया था।

लॉकडाउन के दौरान कॉन्ग्रेस और योगी सरकार में बसों की सियासत गर्म हुई तो अदिति सिंह का ट्वीट चर्चा का विषय बना। इसमें उन्होंने कॉन्ग्रेस, महाराष्ट्र और राजस्थान सरकार पर सवाल खड़े किए थे। इस पूरे मामले में विधायक अदिति सिंह ने योगी सरकार के रुख का समर्थन किया था।

अदिति सिंह ने ट्वीट कर लिखा था, “आपदा के वक्त ऐसी निम्न सियासत की क्या जरूरत, एक हजार बसों की सूची भेजी, उसमें भी आधी से ज्यादा बसों का फर्जीवाड़ा। 297 कबाड़ बसें, 98 ऑटो रिक्शा व एबुंलेंस जैसी गाड़ियाँ, 68 वाहन बिना कागजात के, ये कैसा क्रूर मजाक है। अगर बसें थीं तो राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र में क्यूँ नहीं लगाई।”

इसके अलावा उन्‍होंने एक और ट्वीट में लिखा था, “कोटा में जब यूपी के हजारों बच्चे फँसे थे तब कहाँ थीं ये तथाकथित बसें, तब कॉन्ग्रेस सरकार इन बच्चों को घर तक तो छोड़िए, बॉर्डर तक ना छोड़ पाई। तब योगी आदित्यनाथ ने रातों रात बसें लगाकर इन बच्चों को घर पहुँचाया। खुद राजस्थान के सीएम ने भी इसकी तारीफ की थी।”

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