अमेरिका की नीति पर अफ्रीकी देश एस्वातिनी में नाराजगी, ट्रंप प्रशासन पर “कचरा भेजने” का आरोप

अमेरिका द्वारा अवैध प्रवासियों और विदेशी अपराधियों पर सख्ती की जा रही है, लेकिन इस नीति का एक और पहलू अब सामने आया है, जिससे अफ्रीकी देशों में आक्रोश है। अमेरिकी ट्रंप प्रशासन द्वारा कई गंभीर आपराधिक मामलों में दोषी विदेशी कैदियों को अफ्रीका के छोटे-से देश एस्वातिनी (पहले स्वाजीलैंड) भेजा गया है। इससे वहां के नागरिकों और राजनीतिक दलों में भारी नाराजगी है।

“हम कचरा फेंकने की जगह नहीं हैं”

एस्वातिनी में कई नागरिक और विपक्षी समूह खुले तौर पर यह कह रहे हैं कि अमेरिका उनके देश को “डंपिंग ग्राउंड” यानी कचरा फेंकने की जगह बना रहा है। अमेरिका की डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) की प्रवक्ता ने भी जिन पांच अपराधियों को एस्वातिनी भेजा गया है, उन्हें ‘दुष्ट राक्षस’ कहा है, जिसके बाद गुस्सा और भड़क गया है।

किन कैदियों को भेजा गया?

अमेरिकी DHS की प्रवक्ता ट्रिशिया मैकलॉगलिन ने जानकारी दी कि भेजे गए अपराधी जमैका, लाओस, क्यूबा, यमन और वियतनाम के नागरिक हैं। ये लोग बलात्कार, हत्या और डकैती जैसे जघन्य अपराधों के दोषी हैं और अमेरिका में लंबी सजा काट रहे थे। अब इन्हें एस्वातिनी लाकर एकांत कारावास में रखा गया है।

अमेरिकी दबाव और चुपचाप हुए समझौते

बताया जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन चुपचाप कई अफ्रीकी देशों के साथ समझौते कर रहा है ताकि विदेशी अपराधियों को वहां डंप किया जा सके। पहले से ही अमेरिका अल सल्वाडोर की जेलों में कैदी भेज रहा है। अब एस्वातिनी जैसे देशों को भी इस सूची में शामिल किया गया है।

नाइजीरिया के विदेश मंत्री यूसुफ टुगर ने हाल ही में कहा था कि अमेरिका अफ्रीकी देशों पर दबाव डाल रहा है कि वे वेनेजुएला और अन्य देशों के अपराधियों को भी स्वीकार करें, भले ही उनका अफ्रीका से कोई सीधा संबंध न हो।

एस्वातिनी में विरोध क्यों?

एस्वातिनी की जनसंख्या लगभग 10 लाख है और यह देश गरीबी, बेरोजगारी और अपराध जैसी गंभीर समस्याओं से पहले ही जूझ रहा है। यहां की जेलें पहले से ओवरलोडेड हैं और संसाधनों की भारी कमी है। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, देश की अधिकांश आबादी प्रतिदिन 4 डॉलर से भी कम में गुजारा करती है।

विपक्षी पार्टी PUDEMO ने इस निर्णय को ‘खतरनाक’ बताते हुए कहा, “अमेरिका द्वारा अपने जेलों के कैदियों को हमारे देश में डालना हमारे नागरिकों के साथ अन्याय है। एस्वातिनी किसी का कबाड़खाना नहीं है।”

एस्वातिनी सरकार का बचाव

हालांकि एस्वातिनी की सरकार ने कहा है कि यह अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) के साथ महीनों चली उच्चस्तरीय बातचीत का हिस्सा था। सरकारी प्रवक्ता थबिले मदलुली ने कहा कि कैदियों को अभी एकांत कारावास में रखा गया है और वे अमेरिका तथा IOM के साथ मिलकर इन्हें उनके मूल देशों तक भेजने की योजना बना रहे हैं।

लेकिन यह भी स्पष्ट किया गया कि इन कैदियों को कब तक रखा जाएगा, इसकी कोई निश्चित समयसीमा तय नहीं है, और इस बात ने स्थानीय लोगों की चिंता और बढ़ा दी है।

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