पूर्व विधायक बृजेश पर कसने लगा प्रशासन का शिकंजा

भाजपा में रहते बनवाया गया भवन सपा में जाते ही घोषित हो गया अवैध

बांदा विकास प्राधिकरण ने अनाधिकृत रूप से निर्माण को दिया नोटिस

भास्कर न्यूज

बांदा। प्रदेश में योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरूआत से ही भाजपा छोड़कर दूसरे दलों से चुनाव लड़ने वालों की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। योगी सरकार के मुख्य निशाने पर भाजपा से सपा मेें गए पूर्व मंत्री व पूर्व विधायक रखे गए हैं। 2017 में बसपा से भाजपा में आकर विधायक का तमगा हथियाने वाले तिंदवारी विधायक बृजेश प्रजापति जब तक भाजपा में रहे उनके सभी काम नियमानुसार रहे, लेकिन जैसे ही उन्होंने 2022 के चुनाव से पहले पाला बदला उनके हर काम मेंे सरकार को अनैतिकता की बू आने लगी है। 2022 से पहले भाजपा के संरक्षण में पल बढ़ रहे बृजेश ने जब शहर के बिजली खेड़ा मोहल्ले में आलीशान चार मंजिला भवन बनाया था, तब किसी ने सोचा भी न होगा कि उनके पाला बदलते ही अचानक वही भवन अवैध घोषित हो जाएगा। अब पूर्व विधायक बृजेश प्रजापति के भवन पर बुलडोजर की आहट सुनाई देने लगी है और बांदा विकास प्राधिकरण ने कई पृष्ठ का नोटिस चस्पा कर दिया है।

चंद महीनों तक सत्ताधारी भाजपा के कर्णधार रहे पूर्व विधायक बृजेश प्रजापति अब सपा की लाल टोपी लगाकर योगी सरकार को लगातार चुनौती देते नजर आ रहे हैं। वह पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के करीबी माने जाते हैं और उनके साथ ही राजनीति की छलांग लगाते हैं। वर्ष 2017 में बसपा छोड़कर वह अपने नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ भाजपा में शामिल हुए थे और बृजेश तिंदवारी से भाजपा के टिकट पर विधानसभा पहुंचे थे। हालांकि विधानसभा मेंे भी उनका कार्यकाल खासा विवादों से भरा रहा और कई बार उन पर बालू खनन में हिस्सा मांगने और खनिज अधिकारी से मारपीट करने तक के आराेप लगे। लेकिन सत्ता के सिपाही होने के कारण उन पर लगे सभी आरोप ठंडे बस्ते में पड़े रहे। उन्होंने विधायक रहते हुए ही शहर के बिजली खेड़ा मोहल्ले में चार मंजिल वाला आलीशान भवन भी बनवाया और किसी भी अधिकारी की नजर तक इस भवन की वैधानिकता पर नहीं पड़ी। लेकिन अब जब बृजेश अपने नेता श्री मौर्य के साथ सपा में शामिल हुए और सपा के टिकट पर तिंदवारी विधानसभा से भाजपा के खिलाफ ताल ठोकते नजर आए तो अब उनके भवन पर विकास प्राधिकरण की नजरें टिक गई हैं। प्राधिकरण की ओर से उनके भवन पर नोटिस चस्पा करते हुए बाबा का बुलडोजर तक चलाने की चेतावनी दे डाली गई है। हालांकि मामले में प्राधिकरण ने उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए 7 अप्रैल की तारीख दी है।

सवालों के घेरे में प्राधिकरण की कार्रवाई

पूर्व विधायक बृजेश प्रजापति के भवन पर नोटिस चस्पा होने के मामले मेंे सबसे बड़ा सवाल प्राधिकरण की कार्रवाई पर भी उठता है। जब इस भवन का निर्माण हो रहा था, तब प्राधिकरण के अधिकारी किसके दबाव पर इस ओर से अपनी आंखें मूंदे हुए थे। इस कार्रवाई से तो यही प्रतीत होता है कि भाजपा में रहकर किसी को भी अनैतिक कार्य करने का लाइसेंस दे दिया जाता है और भाजपा से बाहर निकलते ही उस पर शिकंजा कसना शुरू हो जाता है। शहर में सैकड़ों की संख्या में बगैर मानचित्र पास कराए निर्माण चल रहे हैं, लेकिन प्राधिकरण की नजरें ऐसे अवैध निर्माणों पर भी नहीं पड़ रही हैं। या यूं कहें कि एेसे तमाम निर्माण प्राधिकरण के रहमोकरम पर चल रहे हैं। पूरी कार्रवाई पर पूर्व विधायक बृजेश इसे बदले की कार्रवाई बता रहे हैं। कहा है कि सरकार की बौखलाहट का वह करारा जवाब देने को तैयार हैं।

बृजेश का रहा है विवादों से पुराना नाता

पहले बसपा और फिर भाजपा से होते हुए सपा तक के सफर में पूर्व विधायक बृजेश का विवादों से पुराना नाता रहा है। बृजेश बसपा में रहने के दौरान अपने सवर्ण विरोधी बयानों से चर्चा में रहते थे, तो भाजपा का दामन थामते ही उनके सुर बदले और वह एक धर्म विशेष के खिलाफ बयानबाजी करने लगे। उधर विधायक रहते हुए उन्होंने बालू खनन में अपना हिस्सा तय करने के लिए खनिज अधिकारी के साथ भी मारपीट की थी, जिसका मुकदमा भी अब एक्टिव मोड में आ गया है। वहीं मतगणना से एक दिन पहले मंडी समिति में डीएम की गाड़ी चेक करने और बवाल मचाने के संबंध में भी इनका नाम आया है। कुल मिलाकर बृजेश पहले से ही विवादों में घिरे रहने के आदी रहे हैं, लेकिन भाजपा में रहने के दौरान उनके सभी विवाद भगवा परदे में ढके रहे, लेकिन जैसे ही उन्होंने भगवा दामन छोड़ा उन पर प्रशासन का शिकंजा कसने लगा है।

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