
नई दिल्ली/इस्लामाबाद : एशियाई विकास बैंक (ADB) ने पाकिस्तान को करीब 6,800 करोड़ रुपये के बेलआउट पैकेज को मंजूरी दे दी है, जबकि भारत ने आतंकवाद के वित्तपोषण के इतिहास का हवाला देते हुए इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है।
इससे पहले पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से भी 8,500 करोड़ रुपये का बेलआउट पैकेज मिल चुका है। अब ADB द्वारा दी गई सहायता से पाकिस्तान की डूबती अर्थव्यवस्था को कुछ राहत मिलने की उम्मीद है।
ADB का पक्ष: आर्थिक सुधारों को बताया आधार
ADB ने इस बेलआउट को राजकोषीय स्थिरता और सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन सुधार के लिए जरूरी बताया है। पाकिस्तान में ADB की निदेशक एम्मा फैन ने कहा कि देश ने हाल के महीनों में मैक्रोइकोनॉमिक स्थिति में सुधार के प्रयास किए हैं।
पाकिस्तानी वित्त मंत्रालय के सलाहकार खुर्रम शहजाद ने लोन मिलने की पुष्टि करते हुए बताया कि इसमें नीति-आधारित ऋण और कार्यक्रम-आधारित गारंटी शामिल है।
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया: आतंकवाद और सैन्य खर्चों की आशंका
भारत ने इस वित्तीय सहायता पर तीव्र विरोध जताया है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, भारत ने कहा कि पाकिस्तान की आर्थिक कमजोरी और आतंकवाद के साथ संबंध को देखते हुए यह सहायता ADB की विश्वसनीयता के लिए खतरा हो सकती है।
भारत ने यह भी आरोप लगाया कि पाकिस्तान की सेना का आर्थिक मामलों में अत्यधिक प्रभाव है, जो लोन के दुरुपयोग का खतरा बढ़ाता है। भारत ने कहा कि पाकिस्तान को दिए गए पूर्व ऋणों के बावजूद वह आर्थिक सुधारों को लागू करने में बार-बार विफल रहा है।
विश्व बैंक भी देगा मदद
पाकिस्तान को ADB और IMF के अलावा विश्व बैंक से भी राहत मिलने की तैयारी है। इस साल जनवरी में 20 अरब डॉलर के कर्ज का समझौता किया गया है, जो कि जलवायु परिवर्तन और निजी क्षेत्र के विकास से जुड़ा है।
भारत, विशेषकर पहलगाम आतंकी हमले के बाद, पाकिस्तान को आर्थिक मोर्चे पर अलग-थलग करने की रणनीति पर काम कर रहा है और इन सभी ऋणों का खुलकर विरोध कर रहा है।
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