
आम आदमी पार्टी (AAP) ने अब यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अब विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ का हिस्सा नहीं है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा है कि यह गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव तक सीमित था, और उसके बाद से AAP ने सभी चुनाव अकेले दम पर लड़े हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि संसद में टीएमसी और डीएमके जैसे दलों से पार्टी का सहयोगात्मक रिश्ता बना रहेगा, लेकिन चुनावी राजनीति में पार्टी अब स्वतंत्र रास्ता अपनाएगी।
राजनीतिक समीकरण और AAP का नया फोकस
AAP के इस रुख को बदलते राजनीतिक हालात और रणनीतिक जरूरतों से जोड़कर देखा जा रहा है। पार्टी की दिल्ली में हालिया हार और पंजाब में सरकार को बचाने की चुनौती ने नेतृत्व को अपनी रणनीति पर दोबारा सोचने के लिए मजबूर किया है।
पंजाब में कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल है। ऐसे में ‘INDIA’ गठबंधन में कांग्रेस के साथ होना पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच भ्रम की स्थिति पैदा कर रहा था। 2027 में पंजाब विधानसभा चुनाव हैं और आम आदमी पार्टी अब वहां अपनी पकड़ को मजबूत करने पर पूरा फोकस कर रही है।
गुजरात में AAP बनाम कांग्रेस
AAP ने 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में अकेले उतरकर 5 सीटें जीती थीं और 13.1% वोट शेयर हासिल किया था। इससे कांग्रेस को खासा नुकसान हुआ और उसका वोट शेयर घटकर 27.7% रह गया।
हाल ही में गुजरात की एक सीट पर हुए उपचुनाव में भी AAP ने जीत दर्ज की है, जिससे पार्टी को वहां भविष्य की संभावनाएं दिख रही हैं। ऐसे में कांग्रेस से अलग रहना AAP की मजबूरी भी बन गई है।
दिल्ली की हार के बाद ‘एकला चलो’ की रणनीति
दिल्ली में हालिया पराजय के बाद आम आदमी पार्टी एक बार फिर अपनी स्वतंत्र राजनीतिक पहचान को मजबूत करने में जुट गई है। ‘इंडिया’ गठबंधन में कांग्रेस के साथ खड़ा होना पार्टी की बीजेपी और कांग्रेस दोनों से समान दूरी की विचारधारा को कमजोर कर रहा था।
2013 में AAP ने कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में सरकार बनाई थी, जिसका असर पार्टी की छवि पर पड़ा था। अब केजरीवाल और उनकी टीम वापस उसी मूल नीति पर लौट रहे हैं, जिसमें क्षेत्रीय मजबूती और केंद्र से विरोध प्रमुख लक्ष्य हैं।
क्या INDIA से बाहर होना स्थायी है?
हालांकि AAP ने गठबंधन से अलग होने की बात कही है, लेकिन संसद में सहयोग की बात ने एक नई बहस छेड़ दी है। टीएमसी और डीएमके जैसी पार्टियों से सहयोग की बात करते हुए यह संकेत मिलते हैं कि पार्टी अभी भी कुछ मुद्दों पर विपक्षी खेमे के साथ खड़ी रहेगी।
विशेषज्ञों की मानें तो AAP फिलहाल कांग्रेस से दूरी, लेकिन बीजेपी के खिलाफ रणनीतिक साझेदारी का रास्ता अपनाना चाहती है। वह विपक्ष में तो रहना चाहती है, लेकिन कांग्रेस के साथ मंच साझा किए बिना।
ये भी पढ़ें:
जलालुद्दीन छांगुर की ‘ब्लैक फंडिंग’ डायरी : नसरीन के पास छुपे हैं सत्ता के राज…कई नेता-अफसर होंगे बेनकाब
https://bhaskardigital.com/jalaluddin-changurs-black-funding-diary-nasreen-has-the-secrets-of-power-hidden-many-leaders-and-officers-will-be-exposed/
मुरादाबाद में दो मुस्लिम लड़कियों ने हिंदू युवकों से रचाई शादी, आर्य समाज मंदिर में लिए सात फेरे
https://bhaskardigital.com/two-muslim-girls-married-hindu-boys-in-moradabad-took-seven-rounds-in-arya-samaj-temple/