
महाराष्ट्र में भाषा को लेकर एक बार फिर सियासी घमासान शुरू हो गया है। इस बार विवाद की जड़ बनी है राज्य सरकार की नई शिक्षा नीति, जिसके तहत मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को त्रिभाषा फार्मूले के तहत तीसरी भाषा के रूप में शामिल किया गया है।
हालांकि सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि हिंदी को अनिवार्य नहीं बनाया गया है, लेकिन विकल्प के तौर पर कोई अन्य भारतीय भाषा चुनने के लिए स्कूल में हर कक्षा में कम से कम 20 छात्रों की सहमति अनिवार्य होगी।
मनसे नेता प्रकाश महाजन ने किया विरोध, दी चेतावनी
मनसे नेता प्रकाश महाजन ने इस फैसले का विरोध करते हुए मंगलवार को बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा, “मराठी भाषा की रक्षा के लिए सभी मराठी मानूस को एकजुट होना होगा। अगर हम खुद आपस में लड़ते रहेंगे, तो हमारी संस्कृति और भाषा पर हमले होते रहेंगे।”
महाजन ने यह भी कहा कि हिंदी की अनिवार्यता के खिलाफ यदि उद्धव गुट की शिवसेना और मनसे एकसाथ आवाज उठाएं, तो परिणाम अलग हो सकते हैं।
शिवसेना और मनसे के संभावित गठबंधन पर संकेत
मनसे नेता ने यह भी संकेत दिया कि यदि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक साथ आएं, तो मराठी अस्मिता की लड़ाई और अधिक प्रभावी हो सकती है। उन्होंने बताया कि वरिष्ठ नेता बाला नांदगांवकर ने उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी, लेकिन उद्धव खेमे की ओर से राज ठाकरे से मिलने कोई नहीं आया।
महाजन ने कहा, “गतिरोध तोड़ने की पहल किसी न किसी को करनी होगी। अगर हम मराठी भाषा और जनता की भलाई के लिए एकजुट नहीं हुए, तो इतिहास हमें कभी माफ नहीं करेगा।”
सत्ताधारी गठबंधन पर हमला
महाजन ने सत्तारूढ़ गठबंधन (शिवसेना-शिंदे गुट, भाजपा और एनसीपी) पर भी तीखा हमला बोला और उन पर सत्ता में बने रहने के लिए ‘किसी भी स्तर तक गिरने’ का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इन दलों की वजह से मराठी जनता खुद को उपेक्षित महसूस कर रही है।