अयोध्या में भगवान राम के मंदिर का इतिहास हजारों साल तक जीवंत रहे, इसके लिए राम जन्मभूमि स्थल पर गर्भगृह के 200 फीट गहराई में टाइम कैप्सूल रखा जाएगा। जिस पर मंदिर का संपूर्ण विवरण दर्ज होगा। इसके बाद भविष्य में जब कोई राम मंदिर का इतिहास देखना चाहेगा तो राम जन्मभूमि के संघर्ष के इतिहास के साथ तथ्य भी निकलकर आएगा ताकि कोई भी विवाद यहां पैदा न हो सके। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने बताया कि टाइम कैप्सूल भविष्य में किसी को भी मंदिर के इतिहास का अध्ययन करने में मदद करेगा।
3 अगस्त से शुरू होगा अनुष्ठान
बिहार के रहने वाले कामेश्वर चौपाल ने 9 नवंबर 1989 को अयोध्या में राम मंदिर के लिए आधारशिला रखी थी। 64 साल के चौपाल तब से मंदिर निर्माण की उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर की आधारशिला रखने आ रहे हैं। इससे पहले 3 अगस्त से 3 दिवसीय वैदिक अनुष्ठान शुरू हो जाएगा। मंदिरों के शहर अयोध्या को जीवंत बनाने का काम जारी है। 5 अगस्त को प्रस्तावित भूमि पूजन समारोह का लाइव प्रसारण दूरदर्शन द्वारा किया जाएगा।
200 फीट गहराई की मिट्टी का लिया गया था सैंपल
राम मंदिर के चीफ आर्किटेक्ट निखिल सोमपुरा ने बताया कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के बाद मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। 200 मीटर गहराई की मिट्टी का सैंपल लिया गया था। जिसकी अभी रिपोर्ट नहीं आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, एलएनटी कंपनी नींव की खुदाई शुरू कर देगी। नींव की गहराई कितनी होगी, यह रिपोर्ट पर आधारित है। मंदिर का प्लेटफार्म 12 फीट से 15 फीट के बीच करने की बात हो रही है।
क्या है टाइम कैप्सूल?
टाइम कैप्सूल एक कंटेनर की तरह होता है, जो विशिष्ट सामग्री से बनता है। टाइम कैप्सूल हर तरह के मौसम का सामना करने में सक्षम होता है। आमतौर पर भविष्य के लोगों के साथ संचार स्थापित करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। इससे पुरातत्वविदों, मानवविज्ञानी या इतिहासकारों को अध्ययन करने में मदद मिलती है। 30 नवंबर 2017 को स्पेन के बर्गोस में करीब 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल निकला। यीशू मसीह के मूर्ति के रूप में था। मूर्ति के भीतर 1777 के आसपास की आर्थिक राजनीतिक और संस्कृति सूचना थी।