
Jaipur : मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की पहल पर प्रदेश में वर्चुअल नेट मीटरिंग तथा ग्रुप नेट मीटरिंग की व्यवस्था प्रभावी होने जा रही है। शर्मा के दिशा-निर्देशों पर राजस्थान डिस्कॉम्स ने राजस्थान विद्युत नियामक आयोग के समक्ष राज्य में वर्चुअल नेट मीटरिंग तथा ग्रुप नेट मीटरिंग की व्यवस्था लागू करने के लिए याचिका प्रस्तुत की थी, जिस पर बीते दिनों नियामक आयोग ने ग्रिड इंटरएक्टिव डिस्ट्रिब्यूटेड रिन्यूबल एनर्जी जनरेटिंग सिस्टम्स तृतीय संशोधन विनियम-2025 अधिसूचित किए थे। डिस्कॉम्स ने मंगलवार को इसकी क्रियान्विति के दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।
इसके माध्यम से प्रदेश में वर्चुअल नेट मीटरिंग तथा ग्रुप नेट मीटरिंग की व्यवस्था को पहली बार लागू किया गया है। इसका सर्वाधिक लाभ प्रदेश के मल्टी स्टोरी तथा अपार्टमेंट में रह रहे लोगों, गांव-ढाणी में बसे लोगों, सरकारी एवं निजी कार्यालयों, लघु एवं मध्यम उद्योगों तथा एक मेगावाट क्षमता तक विद्युत भार वाले वृहद उद्योगों एवं ऐसे अन्य उपभोक्ताओं को होगा, जिनके पास स्वयं की छत उपलब्ध नहीं है। ऐसे उपभोक्ता भी अब वर्चुअल नेट मीटरिंग तथा ग्रुप नेटरिंग मीटरिंग व्यवस्था लागू होने के बाद अब सौर ऊर्जा से जुड़ पाएंगे। छत की उपलब्धता नहीं होने के कारण वे अब तक व्यक्तिगत रूप से सोलर नहीं लगा पाते थे।
डिस्कॉम्स ने इन विनियमों के माध्यम से तकनीकी स्वीकृति की प्रक्रिया को आसान बनाया है। इसके अन्तर्गत 10 किलोवाट तक की घरेलू सोलर परियोजनाओं को बिना तकनीकी अध्ययन के स्वीकृत माना जाएगा। वहीं इससे अधिक विद्युत भार वाली सोलर परियोजनाओं के लिए तकनीकी अध्ययन की समय सीमा मौजूदा उपभोक्ताओं के लिए 15 दिन और नए कनेक्शनों के लिए 30 दिन रखी गई है। यह सोलर संयंत्र रूफ टॉप अब बालकनी एवं अन्य स्थान पर उपलब्ध भूमि, सार्वजनिक भूमि, जलाशयों आदि स्थानों पर लगाए जा सकेंगे। इसके माध्यम से घरेलू उपभोक्ताओं को व्हीलिंग चार्ज, बैंकिंग चार्ज और क्रॉस सब्सिडी सरचार्ज से पूरी छूट दी गई है।
वर्चुअल नेट मीटरिंग ऐसी व्यवस्था है जिसमें एक स्थान पर स्थापित सौर ऊर्जा संयंत्र से उत्पन्न होने वाली बिजली को उसी डिस्कॉम क्षेत्र में आने वाले कई उपभोक्ताओं के बिजली बिलों में समायोजित किया जाता है। उदाहरण के लिए,किसी अपार्टमेंट, कॉलोनी या संस्थान के पास स्वयं की छत नहीं है अथवा सीमित स्थान है तो वे किसी अन्य स्थान पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाकर वहां से उत्पन्न बिजली का लाभ अपने.अपने मीटरों में प्राप्त कर सकते हैं।
यह ऐसी व्यवस्था है जिसमें एक उपभोक्ता एक स्थान पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाता है तो उससे उत्पन्न बिजली को उसी डिस्कॉम क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले उसके अन्य कनेक्शनों में समायोजित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए यदि किसी उपभोक्ता के पास घर, दुकान, ऑफिस अथवा अन्य कोई संस्थान है तो वह एक स्थान पर सोलर संयंत्र लगाकर वहां से उत्पन्न बिजली का उपभोग अपने अन्य स्थानों के विद्युत कनेक्शन पर भी कर सकता है। इसका सर्वाधिक लाभ ऐसे उपभोक्ताओं को होगा, जिनके कई संस्थान हैं और वहां उनके अलग-अलग बिजली कनेक्शन हैं। जैसे-स्कूल, अस्पताल, चैरिटेबल संस्थान आदि।
इससे घरेलू उपभोक्ताओं को सभी तरह के शुल्कों से पूरी तरह छूट मिलेगी। घरेलू के अलावा अन्य उपभोक्ताओं को भी कई शुल्कों से राहत मिलेगी। विशेषकर रेस्को मॉडल में अधिभार सामान्य ओपन एक्सेस दरों के 50 प्रतिशत पर होगा। बैटरी एनर्जी स्टोरेज से जुडी परियोजनाओं पर भी अतिरिक्त प्रोत्साहन मिलेगा और 5 प्रतिशत बैटरी ऊर्जा भण्डारण प्रणाली क्षमता पर व्हीलिंग चार्ज से 75 प्रतिशत तथा 30 प्रतिशत से अधिक बैटरी ऊर्जा भण्डारण क्षमता पर शत-प्रतिशत छूट मिलेगी। इसके साथ ही पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना में राज्य सरकार का लक्ष्य अधिक से अधिक रूफ टॉप सोलर लगाने का है। इसके लिए आवेदन शुल्क, सिक्योरिटी डिपोजिट, मीटर परीक्षण शुल्क एवं एग्रीमेंट में भी छूट दी गई है।
ग्रुप नेट मीटरिंग तथा वर्चुअल नेट मीटरिंग को अनुमत किए जाने से प्रदेश में सौर ऊर्जा के रूप में सस्ती एवं सुलभ बिजली के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा और उपभोक्ताओं का विद्युत व्यय कम होगा। इससे नेट जीरो के लक्ष्य की प्राप्ति में राज्य की प्रतिबद्धता और मजबूत होगी और कार्बन उत्सर्जन कम होगा।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए एकीकृत स्वच्छ ऊर्जा नीति.2024 जारी की थी, जिसमें रूफ टॉप सोलर को बढ़ावा देने के लिए नेट मीटरिंग, ग्रॉस मीटरिंग के साथ-साथ वर्चुअल नेट मीटरिंग एवं ग्रुप नेट मीटरिंग के प्रावधान शामिल किए गए थे।















