Mahoba : तीन साल की कैद, भूख और जुल्म… रिटायर्ड सीनियर क्लर्क की मौत के बाद ‘कंकाल सी’ हो चुकी बेटी मिली जिंदा

Mahoba : उत्तर प्रदेश के महोबा जिले से मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है। आरोप है कि एक नौकर दंपती ने रेलवे से सेवानिवृत्त सीनियर क्लर्क और उनकी मानसिक रूप से बीमार बेटी को तीन साल तक घर में कैद कर रखा। इस दौरान न तो उचित इलाज कराया गया और न ही पर्याप्त भोजन दिया गया। सोमवार को सेवानिवृत्त कर्मचारी की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई, जबकि उनकी बेटी अत्यंत कमजोर और बुरी हालत में कमरे के अंदर बेसुध मिली।

कैसे खुला मामला

हिंद टायर गली में रहने वाले 70 वर्षीय ओमप्रकाश सिंह राठौर, जो रेलवे में सीनियर क्लर्क रहे थे, अपनी मानसिक रूप से बीमार बेटी रश्मि 27 के साथ अलग मकान में रहते थे। पत्नी की 2016 में मृत्यु के बाद उन्होंने बेटी की देखभाल के लिए चरखारी निवासी एक नौकर दंपती को रखा हुआ था। सोमवार को अचानक ओमप्रकाश की मौत की सूचना पर जब उनके भाई अमर सिंह और अन्य परिजन मौके पर पहुंचे तो घर का अंदरूनी नज़ारा देखकर सभी सन्न रह गए।
ओमप्रकाश का शव कमरे में पड़ा था और पास ही उनकी बेटी रश्मि बेहद दयनीय, कुपोषित और लगभग कंकाल जैसी स्थिति में ज़िंदा मिली। परिजनों का आरोप है कि नौकर दंपती ने घर पर कब्जा कर पिता-पुत्री दोनों को नीचे के कमरे में बंद कर रखा था और किसी को उनसे मिलने नहीं दिया जाता था।

तीन साल से नहीं मिलने देते थे गंभीर आरोप

परिजनों का कहना है कि जब भी वे मिलने आते, नौकर दंपती कोई न कोई बहाना बनाकर उन्हें लौटा देते थे। आरोप यह भी है कि पिता-पुत्री को पर्याप्त भोजन नहीं दिया जाता था और बेटी के इलाज की भी अनदेखी की गई। तीन साल तक कथित रूप से जारी इस कैद और अत्याचार ने पिता की जान ले ली और बेटी को जिंदगी और मौत के बीच खड़ा कर दिया।

सबसे बड़ा सवाल तीन साल तक चुप क्यों रहे परिजन?

हालांकि घटना ने कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं। सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि जब परिजनों को लगातार मुलाकात से रोका जा रहा था, तब उन्होंने पुलिस या प्रशासनिक स्तर पर शिकायत क्यों नहीं की? क्या उन्हें शक नहीं हुआ या फिर उपेक्षा बरती गई? पुलिस अब इस पूरे एंगल को भी जांच के दायरे में ले रही है।

पुलिस जांच में जुटी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार

घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और पूरे मामले की जांच शुरू कर दी। सीओ अरुण कुमार सिंह ने कहा है कि मामले की गहन जांच कराई जा रही है। फिलहाल किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद मौत के वास्तविक कारणों का पता चलेगा। साथ ही बेटी की चिकित्सकीय जांच कराई जा रही है और उसके बयान भी महत्वपूर्ण होंगे।

मानवता पर बड़ा सवाल

यह मामला न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि मानवता पर भी बड़ा प्रश्नचिह्न छोड़ता है। अगर आरोप सही साबित होते हैं, तो यह भरोसे की हत्या और क्रूरता की पराकाष्ठा कही जाएगी। वहीं यदि परिजनों की लापरवाही सामने आई, तो उनकी भूमिका भी कटघरे में होगी। फिलहाल पूरा शहर इस दर्दनाक घटना से स्तब्ध है और न्याय व सच्चाई सामने आने का इंतजार कर रहा है।

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