सबसे ज्यादा सीतापुर सदर विधानसभा से मतदाता ‘गायब’ 

  • सीतापुर में एसआईआर प्रक्रिया में 6.23 लाख वोट्स का हिसाब गोल 
  • किस पार्टी की बनेगी और किसकी बिगड़ेगी बाजी?

सीतापुर। जिले में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण अभियान के जो आंकड़े सामने आए हैं, उन्होंने जिले की सियासी हवा को गरमा दिया है। कुल 31,90,806 मतदाताओं में से 6,23,771 वोटसर् का सत्यापन नहीं हो पाया है, जिसका सीधा मतलब है कि लगभग 19.55 प्रतिशत नाम या तो सूची से हटाए जाएंगे या उनकी स्थिति संदिग्ध है। इस बड़ी कटौती से आगामी चुनाव में कई दलों के समीकरण गड़बड़ा सकते हैं।

​सीतापुर सदर में सबसे बड़ा ‘झटका, लहरपुर में सपा के गढ़ पर खतरा

​आंकड़ों की गहन पड़ताल से पता चलता है कि सीतापुर सदर विधानसभा में सबसे अधिक 1,28,597 मतदाताओं का फॉमर् ‘अनकलेक्ट’ रहा है। यह संख्या जिले की अन्य सभी विधानसभाओं से काफी ज्यादा है, जो सदर सीट पर बीजेपी के दबदबे को देखते हुए सियासी तौर पर संवेदनशील है। हालांकि, संख्या बल के आधार पर लहरपुर विधानसभा में भी 69,961 और मिश्रिख विधानसभा में 80,493 मतदाताओं का सत्यापन नहीं हो पाया है, जिससे सपा के एकमात्र विधायक वाली लहरपुर सीट पर भी संभावित नुकसान का खतरा मंडरा रहा है।

कहाँ कितने मतदाता नही मिल रहे

सीतापुर जनपद में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण अभियान के आंकड़े सामने आए हैं। जनपद में कुल मतदाताओं की संख्या 31,90,806 है, जिनमें से 25,67,034 इलेक्टोरल फॉमर् (ईएफ) डिजिटाइज्ड किए जा चुके हैं। वहीं, 6,23,771 मतदाताओं का विवरण ‘अनकलेक्ट’ (अप्राप्त) रहा है। विधानसभावार देखें तो विधानसभा महोली में कुल 3,82,342 मतदाता हैं, जिनमें से 66,571 अनकलेक्ट रहे। विधानसभा सीतापुर में 4,02,989 मतदाताओं में से सबसे अधिक 1,28,597 अनकलेक्ट हैं। विधानसभा हरगाँव में 3,24,853 में से 56,296 अनकलेक्ट रहे। विधानसभा लहरपुर में 3,58,027 मतदाताओं में 69,961 अप्राप्त रहे, जबकि विधानसभा बिसवाँ में 3,45,310 में से 60,388 अनकलेक्ट हैं। विधानसभा सेवता में 3,25,716 में से 45,866 (जो सबसे कम संख्या है) मतदाताओं का विवरण अप्राप्त रहा। विधानसभा महमूदाबाद में 3,27,953 में से 56,394 अप्राप्त रहे। इसी तरह से विधानसभा सिधौली में 3,60,625 में से 59,205 अप्राप्त रहे। वहीं विधानसभा मिश्रिख में 3,62,991 में से 80,493 मतदाताओं का विवरण ‘अनकलेक्ट’ रहा है।

क्या कहते है जिला निर्वाचन अधिकारी

जिला निवार्चन अधिकारी/जिलाधिकारी ने बताया कि एस0आई0आर0 की प्रक्रिया के अंतगर्त जनपद सीतापुर में कुल 31,90,806 मतदाता में से 2567034 (80.45 प्रतिशत) मतदाता का एन्यूमरेशन फॉमर् प्राप्त कर सत्यापन किया गया। 623817 (19.55 प्रतिशत) मतदाता का एन्युमिरेशन फॉमर् विभिन्न कारणों से प्राप्त नहीं हो पाया, जिसमें मृतक कुल 129101 अन ट्रैसिबल/अनुपस्थित 173227, परमानेंटली शिफ्टेड 246901, ऑलरेडी एनरोल्ड 55579 एवं अन्य कारणों से 19003 मतदाता रहे। सिफर् 5.44 प्रतिशत मतदाता का सत्यापन 2003 की वोटर लिस्ट से नहीं हो पाया। अथार्त 94.56 प्रतिशत मतदाता का सत्यापन 2003 की मतदाता सूची से कर लिया गया।

राजनीतिक गणित-किसको फायदा और किसे नुकसान?

​सीतापुर जिले की नौ विधानसभाओं में से वतर्मान में आठ सीटों पर भाजपा का कब्जा है, जबकि लहरपुर सीट पर समाजवादी पाटीर् के अनिल वमार् विधायक हैं। वहीं, संसद (लोकसभा) सीतापुर से राकेश राठौर कांग्रेस के सांसद है। विषेष पुनरीक्षण अभियान के आंकड़े सामने आने के बाद दैनिक भास्कर ने जब राजनीतिक विशेषज्ञों से वार्ता की तो उन्होंने बताया कि अक्सर, अनट्रेसेबल या अनुपस्थित मतदाताओं की बड़ी संख्या उन इलाकों में होती है जहाँ पलायन ज्यादा होता है या जहाँ अल्पसंख्यक/गरीब वगर् की आबादी अधिक होती है, जो पारम्परिक रूप से सपा या कांग्रेस का कोर वोटर माना जाता रहा है। सदर सीतापुर में सबसे ज्यादा ‘अनकलेक्ट’ वोटसर् का हटना सपा-कांग्रेस गठबंधन के लिए बड़ा चुनावी झटका हो सकता है। यह विशेष रूप से कांग्रेस के लिए चिंता का विषय है, जिसका यहाँ लोकसभा चुनाव में 9.1 प्रतिशत वोट शेयर था। इस ‘सफाई’ अभियान से बीजेपी को परोक्ष रूप से फायदा होने की संभावना है।

मतदाता सूची से फजीर् या अनुपस्थित नाम हटने से वोटर टनर्आउट पर नियंत्रण बेहतर होगा, और माना जाता है कि बीजेपी के वोटर अपेक्षाकृत अधिक सक्रिय होते हैं। यह प्रक्रिया बीजेपी को अपनी आठ विधानसभा सीटों और लोकसभा सीट पर अपनी पकड़ और मजबूत करने में मदद कर सकती है, क्योंकि कटौती का बड़ा हिस्सा विपक्ष के संभावित वोट बैंक से जुड़ा हो सकता है। फिलहाल, इस भारी संख्या में मतदाताओं के घटने ने सीतापुर की चुनावी जमीन को हिलाकर रख दिया है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि विपक्ष इस वोटर संकट पर क्या प्रतिक्रिया देता है।

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