हरियाणा श्रम विभाग में 1500 करोड़ का वर्क स्लिप घोटाला

  • श्रम मंत्री ने जांच के लिए सीमए काे लिखा पत्र

चंडीगढ़। हरियाणा के श्रम मंत्री अनिल विज के विभाग में करीब 1500 करोड़ रुपये का फर्जी वर्क स्लिप घोटाला सामने आया है। अपने स्तर पर जांच में पुष्टि होने के बाद श्रम मंत्री विज ने सोमवार को मुख्यमंत्री नायब सैनी को इस संबंध में पत्र लिखा है। यह घोटाला हरियाणा भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में लंबे समय से चली आ रही वर्क स्लिप (कार्य रसीद) से जुड़ी गंभीर अनियमितताओं से जुड़ा हुआ है। अनिल विज का दावा है कि प्रारंभिक जांच में यह घोटाला लगभग 1500 करोड़ रुपये तक होने की आशंका है। घोटाले की गंभीरता को देखते हुए अनिल विज ने इस पूरे प्रकरण की किसी बड़ी जांच एजेंसी से गहन जांच कराने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिख दिया है।

श्रम मंत्री अनिल विज ने सोमवार को चंडीगढ़ में इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि कुछ समय पहले हरियाणा भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की बैठक में सदस्यों की नियुक्ति में अनियमितताओं के साथ-साथ निर्माण श्रमिकों को दी जाने वाली योजनाओं के लाभ वितरण में काफी गड़बडिय़ां पकड़ी थी। इसके बाद विज ने तत्काल जांच के आदेश दिए। प्रारंभिक तौर पर हिसार, कैथल, जींद, सिरसा, फरीदाबाद और भिवानी जिलों में जांच कराई गई, जहां बड़े पैमाने पर अनियमितताएं पाई गईं।

इसके बाद, राज्य के सभी जिला उपायुक्तों को निर्देश जारी कर जिला स्तरीय समितियों का गठन किया गया, जिनमें श्रम विभाग के अधिकारी सहित तीन अन्य अधिकारी शामिल किए गए। इन समितियों द्वारा अगस्त 2023 से मार्च 2025 के बीच जारी की गई आनलाइन वर्कस्लिपों का भौतिक सत्यापन किया जा रहा है। यह प्रक्रिया लगभग चार माह पूर्व शुरू की गई थी, जिसमें अब तक 13 जिलों में 100 प्रतिशत सत्यापन पूरा हो चुका है। कुछ जिलों में इस प्रक्रिया का पूरा होना अभी बाकी है।

अनिल विज ने बताया कि 13 जिलों करनाल, रेवाड़ी, नूंह (मेवात), महेंद्रगढ़, गुरुग्राम, झज्जर, पलवल, पानीपत, रोहतक, सोनीपत, पंचकूला, सिरसा और कैथल में कुल 5 लाख 99 हजार 758 वर्क स्लिप जारी की गई थीं, जिनमें से केवल 53 हजार 249 वर्क स्लिप वैध पाई गईं, जबकि 5 लाख 46 हजार 509 वर्क स्लिप अवैध पाई गईं। इसी प्रकार, कुल 2 लाख 21 हजार 517 श्रमिकों के पंजीकरण में से सत्यापन के बाद केवल 14 हजार 240 श्रमिक ही पात्र पाए गए, जबकि 1 लाख 93 हजार 756 पंजीकरण फर्जी पाए गए।

अनिल विज के अनुसार यह स्पष्ट हो गया है कि कई स्थानों पर गांव के गांव का फर्जी पंजीकरण कर वर्क स्लिप बनाई गईं, ताकि अपात्र लोग सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकें। एक श्रमिक को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से औसतन 2.5 लाख रुपये तक का लाभ दिया जाता है, जिससे सरकार को भारी वित्तीय क्षति होने की आशंका है। जो पात्र नहीं हैं, वे योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं। यह सीधी-सीधी लूट है और सरकार को सैकड़ों करोड़ रुपये की आर्थिक हानि पहुंचाई जा रही है।

सत्यापन समितियों द्वारा कार्यस्थल की वास्तविकता, निर्माण कार्य में सहभागिता, नियोक्ता विवरण, स्थानीय जांच और क्षेत्र भ्रमण सहित सभी पहलुओं की जांच की जा रही है। जांच अवधि के दौरान आरटीएस की समय-सीमा रोकी गई, सरल केंद्रों को नए आवेदन स्वीकार न करने के निर्देश दिए गए तथा सभी शिकायत निवारण प्लेटफार्मों को आवश्यक सूचनाएं जारी की गईं। अनिल विज ने स्पष्ट किया कि पहले से स्वीकृत पेंशन योजनाओं को रोका नहीं गया है, जबकि मृत्यु, दुर्घटना एवं अंत्येष्टि सहायता जैसी योजनाओं का लाभ प्राथमिकता के आधार पर जारी किया जा रहा है।

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