
शिमला : मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सोमवार को कहा कि आईजीएमसी शिमला के सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. राघव नरूला की टर्मिनेशन के मामले की दोबारा समीक्षा के लिए नई कमेटी का गठन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने रेजिडेंट डॉक्टरों के अनिश्चितकालीन हड़ताल खत्म कर वापस ड्यूटी पर लौटने का स्वागत करते हुए कहा कि सरकार किसी भी डॉक्टर का करियर खराब नहीं करना चाहती। उन्होंने स्पष्ट किया कि डॉ. नरूला की सेवाएं समाप्त करने का निर्णय सरकार ने नहीं, बल्कि अस्पताल प्रशासन की रिपोर्ट के आधार पर विभाग स्तर पर लिया गया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पूरे मामले में भारतीय जनता पार्टी ने केवल राजनीति की है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा खुद कई गुटों में बंटी हुई है और इस संवेदनशील मुद्दे पर भी उसके नेता अलग-अलग बयान देते नजर आए। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा का एक विधायक डॉक्टर के पक्ष में बोलता दिखा, जबकि दूसरा विधायक मरीज के पक्ष में खड़ा नजर आया। उन्होंने कहा कि सरकार जनता के हित में काम कर रही है और किसी का भी अहित नहीं चाहती। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वे रोज कुछ न कुछ बयान देते रहते हैं, इसलिए उन पर टिप्पणी करने का कोई अर्थ नहीं है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि रेजिडेंट डॉक्टरों के वापस काम पर लौटने से आम जनता को बड़ी राहत मिली है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अब प्रदेश के अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से पटरी पर लौटेंगी और मरीजों को किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
इस बीच रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल समाप्त होने के बाद सोमवार को आईजीएमसी शिमला सहित प्रदेश के अन्य सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं बहाल हो गईं। हड़ताल पर गए सभी रेजिडेंट डॉक्टर अपने-अपने विभागों में ड्यूटी पर लौट आए, जिससे इलाज के लिए अस्पताल पहुंचे मरीजों को राहत मिली। पिछले दो दिनों से ओपीडी और नियमित इलाज प्रभावित होने के कारण मरीजों और उनके परिजनों को भारी परेशानी उठानी पड़ी थी।
इससे पहले रविवार शाम को आईजीएमसी शिमला की रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर मुख्यमंत्री से मिले आश्वासन के बाद अनिश्चितकालीन हड़ताल तत्काल प्रभाव से समाप्त करने की घोषणा की थी। एसोसिएशन ने कहा था कि मुख्यमंत्री ने डॉ. राघव नरूला की टर्मिनेशन से जुड़े मामले में विस्तृत जांच शुरू करने और सेवाएं समाप्त करने के आदेश को रद्द करने का आश्वासन दिया है। एसोसिएशन ने यह भी स्पष्ट किया कि जांच प्रक्रिया पूरी होने तक वह इस पूरे मामले पर नजर बनाए रखेगी। आरडीए की अगली बैठक 3 जनवरी 2026 को प्रस्तावित है।
गौरतलब है कि यह पूरा विवाद आईजीएमसी शिमला के सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. राघव नरूला की टर्मिनेशन से जुड़ा है। 22 दिसंबर को चौपाल उपमंडल के कुपवी क्षेत्र के निवासी अर्जुन पंवार इलाज के लिए आईजीएमसी पहुंचे थे। वार्ड में बेड को लेकर डॉक्टर और मरीज के बीच कहासुनी हुई, जो बाद में मारपीट में बदल गई। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद अस्पताल परिसर में तनाव फैल गया।
मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार ने जांच करवाई और 24 दिसंबर को जारी आदेश में कहा गया कि प्रारंभिक जांच, वीडियो फुटेज और उपलब्ध तथ्यों के आधार पर डॉक्टर और मरीज दोनों को दोषी पाया गया। इसे सरकारी सेवा आचरण नियमों और रेजिडेंट डॉक्टर नीति-2025 का उल्लंघन मानते हुए डॉ. राघव नरूला की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई थीं। इसी फैसले के विरोध में प्रदेशभर के रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर चले गए थे, जो अब मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद समाप्त हो गई है।















