
- जिला अस्पताल में इलाज के नाम पर लापरवाही का आरोप, मां बेटी के शव के साथ न्याय की गुहार लगाती रही
Lakhimpur Kheri : जिला अस्पताल ओयल का परिसर सोमवार सुबह उस वक्त सन्नाटे और चीखों से भर गया, जब एक मां अपनी बेटी के शव के पास बैठकर इंसाफ की गुहार लगा रही थी। आंखें सूजी हुई थीं, आवाज बार-बार भर जा रही थी और शब्दों में ऐसा दर्द था जिसने वहां मौजूद हर व्यक्ति को झकझोर दिया। मां बार-बार यही कहती रही, “आज मेरी बेटी के साथ हुआ है, कल किसी और की बहन-बेटी के साथ होगा… मुझे न्याय चाहिए। मृतका प्राची वर्मा, निवासी अमूच गांव महतो पूर्वा, ब्लॉक धौरहरा, जिला लखीमपुर खीरी की है। परिजनों का आरोप है कि जिला अस्पताल ओयल में डॉक्टरों और स्टाफ की गंभीर लापरवाही के चलते उनकी बेटी की जान चली गई।
हल्के बुखार में भर्ती, इलाज के दौरान मौत
मृतका की मां के अनुसार, प्राची को केवल हल्का बुखार था। सामान्य इलाज की उम्मीद में उसे जिला अस्पताल ओयल लाया गया था। आरोप है कि भर्ती के बाद सिर्फ दो बोतलें चढ़ाई गईं और इसके बाद न तो नियमित चिकित्सकीय निगरानी हुई और न ही किसी वरिष्ठ डॉक्टर ने मरीज की हालत को गंभीरता से लिया। मृतका की मां ने बताया कि इलाज के दौरान बेटी के शरीर से खून निकलता रहा। इस पर कई बार डॉक्टरों और स्टाफ को अवगत कराया गया, लेकिन हर बार यही कहा गया कि मरीज की स्थिति सामान्य है और घबराने की जरूरत नहीं है।

डॉक्टरों पर अनदेखी और असंवेदनशीलता के आरोप
परिजनों का आरोप है कि एक महिला डॉक्टर ने केवल औपचारिक जांच की और गंभीर स्थिति के बावजूद मरीज को न तो किसी बड़े अस्पताल के लिए रेफर किया गया और न ही समय रहते आवश्यक उपचार उपलब्ध कराया गया।
परिजनों का कहना है कि यदि समय रहते सही स्थिति बता दी जाती, तो वे अपनी बेटी को किसी अन्य अस्पताल ले जाकर उसकी जान बचाने का प्रयास कर सकते थे।
अस्पताल परिसर में तनाव, पुलिस व जनप्रतिनिधि मौके पर
घटना की जानकारी मिलते ही अस्पताल परिसर में लोगों की भीड़ जुट गई। ब्लॉक प्रमुख पवन गुप्ता भी मौके पर पहुंचे और परिजनों से बातचीत कर उन्हें शांत कराने का प्रयास किया। स्थिति को देखते हुए पुलिस भी अस्पताल पहुंची और प्रारंभिक स्तर पर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने की प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन परिजनों ने इसका विरोध किया। काफी देर तक चली बातचीत और समझाइश के बाद परिजनों ने पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया। इसके बाद पुलिस की मौजूदगी में शव को परिजनों को सौंप दिया गया, जिसे वे अपने गांव लेकर चले गए।
उल्लेखनीय है कि बीते दिन इसी मामले से जुड़ी एक और घटना सामने आई थी, जब जिला अस्पताल में भर्ती मरीज की बहन सौम्या शर्मा ने कथित तौर पर चिकित्सकीय स्टाफ की प्रताड़ना से क्षुब्ध होकर शैंपू पी लिया था। घटना के समय सौम्या ने अस्पताल परिसर में एक वीडियो बनाकर अपने साथ हुए व्यवहार का आरोप लगाया था। हालत बिगड़ने पर उसे तत्काल उपचार दिया गया, जिससे उसकी जान बच सकी। इस घटना के बाद अस्पताल प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग में भी हड़कंप मच गया था, वहीं परिजन पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।
मामले में सीओ सिटी ने बताया कि परिजनों की ओर से फिलहाल कोई लिखित तहरीर प्राप्त नहीं हुई है।
उन्होंने कहा “यदि पीड़ित पक्ष द्वारा लिखित तहरीर दी जाती है, तो पूरे मामले की जांच कर नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।”
स्वास्थ्य व्यवस्था पर फिर उठे सवाल
यह मामला ऐसे समय सामने आया है जब जिला अस्पताल ओयल की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर पहले से ही सवाल उठते रहे हैं। हालिया घटनाओं ने एक बार फिर सरकारी अस्पतालों में इलाज, जवाबदेही और संवेदनशीलता पर गंभीर बहस छेड़ दी है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या पीड़ित परिवार औपचारिक शिकायत दर्ज कराएगा और क्या प्रशासन इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कर पाएगा।










