
New Delhi : अरावली हिल्स में खनन और विकास से जुड़े विवादित मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्टे (स्थगन आदेश) जारी किया है। इस दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ने कहा कि कोर्ट की कुछ परिणामी टिप्पणियों को मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म पर गलत तरीके से पेश किया जा रहा है, जिस पर स्पष्टता आवश्यक है। सुप्रीम कोर्ट ने 19 नवंबर के अपने आदेश पर फिलहाल स्टे लगा दिया है, ताकि किसी भी तरह की पूर्व संज्ञानात्मक कार्रवाई तुरंत लागू न हो।
सुनवाई के दौरान सीजेआई ने स्पष्ट किया कि 20 नवंबर के आदेश को लागू करने से पहले एक निष्पक्ष और ठोस रिपोर्ट तैयार होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अरावली पहाड़ियों और रेंज की परिभाषा के संबंध में अभी भी कई अस्पष्टताएं मौजूद हैं, खासकर 50 मीटर से अधिक ऊंचाई वाली पहाड़ियों के रोक या अनुमति और उनके दायरे को लेकर।
सुप्रीम कोर्ट ने विशेषज्ञों के पैनल को इस मामले में रिपोर्ट तैयार करने का आदेश दिया है। पैनल इस बात की समीक्षा करेगा कि नई परिभाषा संवेदनशील इलाकों की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए पर्याप्त है या नहीं। अदालत ने कहा कि रिपोर्ट के आने के बाद ही किसी भी तरह की खनन या निर्माण गतिविधियों की अनुमति पर निर्णय लिया जाएगा।
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि अरावली पहाड़ियों का संरक्षण दिल्ली-एनसीआर और उत्तर भारत में धूल भरी आंधियों, भूजल स्तर में गिरावट और वायु प्रदूषण को रोकने के लिए अत्यंत जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट की यह पहल इस बात की पुष्टि करती है कि संवेदनशील पर्यावरणीय क्षेत्रों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।
विशेषज्ञ पैनल की रिपोर्ट आने के बाद ही अदालत आगामी आदेश देगी, जिससे यह तय होगा कि नई परिभाषा संवेदनशील इलाकों को सुरक्षित रखने में कारगर है या नहीं।
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