यूपी के इस गांव में लड़कियों के हॉफ पैंट पहनने व मोबाइल इस्तेमाल पर लगी रोक, खाप पंचायत ने सुनाया फरमान

Baghpat : उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में खाप चौधरियों ने सामाजिक बुराइयों के खिलाफ एक मजबूत आवाज उठाने का निर्णय लिया है। इस बैठक में उन्होंने लड़कों और लड़कियों को हॉफ पैंट पहनकर घरों से न निकलने, 18 साल से कम उम्र के बच्चों को स्मार्टफोन न देने जैसे कदम उठाने का विचार व्यक्त किया है।

इसके साथ ही, शादियों में फिजूल खर्चियों पर रोक लगाने और मैरिज होम में शादी न करने का भी फैसला लिया गया है। इन कदमों के माध्यम से समाज में जागरूकता फैलाने और नई पीढ़ी को सही दिशा में ले जाने का प्रयास किया जाएगा।

बागपत जिले में खाप चौधरियों की इस बैठक ने युवाओं की धड़कनें बढ़ा दी हैं। खाप चौधरी स्मार्टफोन को युवाओं के लिए खतरनाक मानते हुए उनका निषेध करने पर जोर दे रहे हैं। उनका कहना है कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों को स्मार्टफोन नहीं देना चाहिए, ताकि उनकी पढ़ाई और सांस्कृतिक मूल्यों का संरक्षण हो सके। स्कूलों में ही अध्यापक की देखरेख में स्मार्ट पढ़ाई कराई जानी चाहिए। थम्बा चौधरी सुरेन्द्र सिंह का भी मानना है कि स्मार्टफोन और हॉफ पैंट जैसी वेशभूषा बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव डालती है, जो भारतीय संस्कृति के खिलाफ है।

बागपत में इस बैठक का आयोजन उस समय हुआ है, जब कुछ दिन पहले राजस्थान के जालोर जिले में भी इसी तरह का फैसला सामने आया था। राजस्थान की पंचायत में लड़कियों की वेशभूषा को लेकर निर्णय लिया गया था, जिसमें हॉफ पैंट पहनने पर आपत्ति जताई गई थी। बागपत के बड़ौत में भी शनिवार को सुभाष चौधरी के घर हुई इस बैठक में, नई पीढ़ी के मोबाइल देखने से हो रहे बदलाव को लेकर चिंता व्यक्त की गई। खाप चौधरी सुभाष सिंह ने प्रस्ताव रखा कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों को स्मार्टफोन देने पर रोक लगाई जाए, जिस पर सभी ने सहमति दी।

इसके अलावा, समाज में हो रही फिजूल खर्ची को लेकर भी विचार विमर्श हुआ। सुरेंद्र सिंह ने कहा कि शादी के खर्चों में अनावश्यक फिजूलखर्ची को नियंत्रित करने के लिए समाज को जागरूक किया जाएगा। उन्होंने सुझाव दिया कि शादी के लिए मैरिज होम की बजाय अपने घर में ही शादी की व्यवस्था की जाए, ताकि खर्च कम हो सके।

हालांकि, इन प्रस्तावित कदमों पर अभी तक कोई औपचारिक फैसला नहीं लिया गया है। खाप चौधरी सुभाष सिंह का कहना है कि इन सामाजिक बुराइयों को लेकर समाज के वरिष्ठ लोगों के विचार चल रहे हैं। युवाओं से भी इन मुद्दों पर राय ली जाएगी, ताकि समाज के सभी वर्गों का समर्थन और भागीदारी सुनिश्चित की जा सके। पंचायत के बाद ही कोई बड़ा निर्णय लिया जाएगा, ताकि समाज की सहमति और समझदारी से कोई कदम उठाया जा सके।

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