
ढाका। बांग्लादेश में फरवरी में होने वाले चुनाव के लिए नामांकन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि से ठीक एक दिन पहले, छात्रों की अगुवाई वाली नेशनल सिटीजन पार्टी (एनसीपी) में भारी अंतर्विरोध उभरकर सामने आया है। जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन और सीटों के बंटवारे के विरोध में संगठन के दो प्रमुख नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है। कई अन्य असंतुष्ट नेताओं के संगठन से जल्द ही अलग होने की चर्चाएं हैंं। इन नेताओं ने संगठन के संयोजक नाहिद इस्लाम को पत्र लिख कर जमात के साथ गठबंधन को विश्वासघात और विचारधारा को कमजोर करने जैसा करार दिया है।
बांग्लादेश के प्रमुख अखबार डेली स्टार के मुताबिक छात्र आंदोलन से उपजी छात्रों की अगुवाई वालीएनसीपी के वरिष्ठ संयुक्त सचिव तसनीम जरा ने शनिवार को अपने इस्तीफे की घोषणा की। जबकि संयुक्त सचिव अरशदुल हक ने गुरुवार को पद छोड़ दिया। रिपोर्ट के मुताबिक जमात-ए-इस्लामी से गठबंधन को लेकर नाराज कई अन्य असंतुष्ट नेता जल्द इस्तीफा दे सकते हैं।
इन असंतुष्ट नेताओं ने संगठन के संयोजक नाहिद इस्लाम को पत्र लिखकर जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन को जमीनी स्तर के नेताओं के साथ विश्वासघात करार देते हुए कहा कि यह पार्टी की विचारधारा को कमजोर करेगा। पत्र में कहा गया है, “हमारा आधार हमारी पार्टी की घोषित विचारधारा, जुलाई विद्रोह से जुड़ी ऐतिहासिक जवाबदेही और लोकतांत्रिक नैतिकता के मूलभूत प्रश्न हैं।”
जुलाई विद्रोह का उल्लेख कर आरोप लगाया गया है कि जमात-ए-इस्लामी और उसके छात्र संगठन, इस्लामी छात्र शिबिर ने विभाजनकारी राजनीति, घुसपैठ, तोड़फोड़, एनसीपी के खिलाफ झूठे आरोप, छात्र संघ चुनावों के दौरान प्रचार और महिला सदस्यों पर ऑनलाइन चरित्र हनन में लिप्त रहे हैं। पत्र में जमात की 1971 में स्वतंत्रता-विरोधी भूमिका, नरसंहार में उसकी मिलीभगत और युद्धकालीन अपराधों पर उसके रुख का हवाला देते हुए कहा गया कि ये बांग्लादेश की लोकतांत्रिक चेतना और पार्टी के मूल्यों के साथ मौलिक रूप से असंगत हैं।
इनका कहना है कि जमात-ए-इस्लामी के साथ कोई भी गठबंधन पार्टी की नैतिक स्थिति को कमजोर करेगा और पार्टी की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाएगा। पत्र में नेताओं को याद दिलाया गया कि उन्होंने पहले भी सुधार के मुद्दों पर जमात के दोहरे रवैये की आलोचना की थी।
पार्टी संयोजक को लिखे पत्र में 30 एनसीपी नेताओं ने लिखा, “यदि उदारवादी समर्थक साथ छोड़ देते हैं तो पार्टी अपना मध्यमार्गी आधार खो देगी। इससे एनसीपी की स्वतंत्र राजनीतिक क्षमता को नुकसान पहुंचेगा।” पत्र में जमात के साथ किसी भी गठबंधन के खिलाफ स्पष्ट रुख अपनाने का आग्रह किया गया।
शुरुआत में छात्रों की अगुवाई वाली एनसीपी पिछले दो महीनों से अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही थी, लेकिन ढाका-8 से स्वतंत्र उम्मीदवार और इंकलाब मंचो के प्रवक्ता शरीफ उस्मान बिन हादी की हत्या के बाद उसने अपना रुख बदल लिया। तब से, एनसीपी नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच सुरक्षा संबंधी चिंताएं बढ़ गई हैं, जबकि पार्टी का दूसरा मजबूत धड़ा यह महसूस होने लगा है कि राष्ट्रीय राजनीति में एनसीपी की स्थिति को मजबूत करने के लिए किसी प्रमुख राजनीतिक शक्ति के साथ गठबंधन करना आवश्यक है। इसी लिहाज से जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन की तरफ बढ़ा है।
हालांकि पार्टी में जमात के साथ गठबंधन की कोशिशों पर गहरी आपत्ति है। संगठन से जुड़ी कई महिला नेता भी धार्मिक दलों से गठबंधन के खिलाफ खुलकर असहमति जता चुकी हैं। एनसीपी ने अभी तक गठबंधन को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन चर्चा है कि जमात के साथ सीट बंटवारे पर बातचीत अंतिम चरण में है। इसलिए पार्टी नेताओं की तरफ से इस्तीफे की घोषणा शुरू हो चुकी है।
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