हेल्प… हेल्प..! स्कूल की दावारों और कॉपी पर बच्चे ने लिखी ऐसी बात… चौंक गई मां

Kanpur : कानपुर में एक हैरान कर देने वाला मामला प्रकाश में आया है, जहां एक कक्षा दो के बच्चे के साथ अत्यंत ही बर्बरता का मामला सामने आया है। इस घटना में बच्चे ने खुद को ही आरोपी मान लिया और फिर मदद मांगने के लिए कॉपी और दीवारों पर ‘मदद’ जैसे शब्द लिखना शुरू कर दिया। यह मामला पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया है और बच्चों की सुरक्षा एवं मानसिक स्वास्थ्य को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

जिले के थाना क्षेत्र सेन के अंतर्गत एक निजी स्कूल में उस वक्त हड़कंप मच गया जब एक आठ साल के बच्चे की मानसिक स्थिति संदिग्ध पाई गई। बच्चे के व्यवहार में अचानक बदलाव आया, वह अत्यंत डरा-सहमा रहने लगा, अक्सर रोने लगा और घर पर दीवारों तथा कॉपियों पर ‘मदद’ लिखना शुरू कर दिया। परिजनों को जब यह सब दिखाई दिया, तो उन्होंने बच्चे से प्यार और धैर्य के साथ बात की। बच्चे ने खुलासा किया कि स्कूल में उसे चोरी के एक छोटे से आरोप को लेकर लगातार डांटा गया और मानसिक दबाव बनाया गया।

परिजनों का आरोप है कि स्कूल में शिक्षकों ने बच्चे से बार-बार पूछताछ की, उसे डराया-धमकाया और मानसिक रूप से परेशान किया। बच्चे का कहना है कि आरोप इतना बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया कि उसने स्वयं को दोषी मान लिया और डर के कारण सामान्य व्यवहार भी करने में असमर्थ हो गया। घर पर बच्चे का व्यवहार बदलना और दीवारों व कॉपियों पर मदद की गुहार लिखना स्पष्ट संकेत था कि वह मानसिक रूप से परेशान है।

बच्ची मां का आरोप है कि स्कूल में शिक्षकों ने बच्चे से बार-बार पूछताछ की, उसे धमकाया और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। परिजनों ने जब स्कूल से घटना से जुड़े साक्ष्य और जानकारी मांगी, तो उन्हें टाल-मटोल की गई। इस स्थिति से परेशान होकर परिवार ने पुलिस की शरण ली और लिखित शिकायत दर्ज कराई।

शिक्षक और परिजनों की शिकायत के बाद पुलिस ने मामला गंभीरता से लिया। बच्चे के पिता आर्मी में हैं और वह अपनी मां के साथ कानपुर में रहते हैं। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। थाना सेन की पुलिस ने आरोपी शिक्षकों एवं स्कूल प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी है। साथ ही, बच्चे की काउंसलिंग कराई जा रही है और परिजनों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं।

एसीपी कृष्णकांत यादव ने बताया कि बच्चे का मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण कराया जा रहा है और पुलिस यह जांच कर रही है कि कहीं स्कूल में बच्चों से पूछताछ और अनुशासन के नाम पर नियमों का उल्लंघन तो नहीं हुआ है।

यह मामला इसलिए भी अत्यंत गंभीर है क्योंकि विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों का मन बहुत कोमल और नाजुक होता है। यदि उन पर किसी भी तरह का दबाव या डर लंबे समय तक बना रहे, तो उसका असर उनके मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है। स्कूल का कर्तव्य न केवल पढ़ाई कराना है, बल्कि बच्चों को सुरक्षित, सकारात्मक और प्रोत्साहनपूर्ण वातावरण प्रदान करना भी है।

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