
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अरावली को पर्वत मानने के लिए नया मानक तैयार किया है। पूरे उत्तर भारत में इसका विरोध किया जा रहा है। बता दें कि अरावली को बचाने के लिए दिल्ली-हरियाणा और राजस्थान में लोगों द्वारा मुहिम भी चलाए जा रहे हैं। इस विषय में विशेषज्ञों की मानें, तो अरावली का इतिहास लगभग 2 अरब साल पुरानी बताई गई है। इस अरावली का महत्व केवल हरियाणा और राजस्थान के लिए नहीं है, बल्कि देश की राजधानी दिल्ली के लिए भी किसी वरदान से कम नहीं है। जब तक अरावली पर्वत का अस्तित्व रहेगा। तब दिल्ली झुलसने से बचती रहेगी। इस संदर्भ में दैनिक भास्कर संवाददाता से विशेष बातचीत में भू-वैज्ञानिक ने बताया कि दिल्ली के लिए अरावली पर्वत एक प्रकार से ढाल बनकर सदियों से खड़ी है, जिसे अब नष्ट करने की तैयारी की जा रही है।
अरावली पर्वत राजधानी के लिए दक्षिण और दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में एक योद्धा की तरह ढाल बनकर सदियों से खड़ा है। हर साल सर्दियों में भले ही यहां धुंध जमा हो जाता है, लेकिन गर्मी के दिनों में राजस्थान के मरुस्थल से आने वाली तपती हवा और रेत के कणों को दिल्ली में घुसने से पहले अरावली पर्वत का सामना करना पड़ता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, अगर अरावली नहीं होती, तो पूरा दिल्ली कुछ सालों में रेगिस्तान में तब्दील हो जाता। अरावली धाक जमा कर खड़ी है। तभी घने जंगल और ऊंची पहाड़ियां रेगिस्तान बनने से बची हुई हैं। इसी पर्वत की वजह से राजधानी के आस-पास के इलाके आपको हरे-भरे नजर आते हैं। इतना ही नहीं जब बारिश होती है, तो यही पहाड़ियां पानी सोखकर पानी के स्तर को बनाए रखती है, जो बाद में दिल्ली-एनसीआर के पानी की जरूरतों को भी पूरा करता है, उन्होंने बताया कि अरावली दिल्ली के लिए केवल एक पर्वत श्रृंखला नहीं है, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा कवच की तरह है। यह शहर को प्रदूषण से बचाने में अहम भूमिका निभाती है, क्योंकि पहाड़ियां, जंगल हवा में मौजूद धूल और हानिकारक कणों को रोकते हैं, जिससे वायु गुणवत्ता संतुलित रहती है। अरावली के कारण ही थार रेगिस्तान का प्रभाव दिल्ली तक सीमित रहता है। साथ ही गर्म हवाओं व धूल भरी आंधियों की तीव्रता कम होती है। इसके साथ-साथ यह क्षेत्र जैव विविधता से समृद्ध है और जलवायु को स्थिर बनाए रखने में मदद करता है। यदि अरावली कमजोर होती है या नष्ट हो जाती है, तो दिल्ली में प्रदूषण, जल संकट, हीट वेव और मौसम असंतुलन जैसी समस्याएं गंभीर रूप ले सकती हैं, जिसका सीधा असर लाखों लोगों के जीवन पर पड़ेगा। अगर अरावली को सुरक्षित नहीं रखा गया, तो यह क्षतिग्रस्त हो गई तो थार रेगिस्तान तेजी से पूर्व की ओर बढ़ेगा। दिल्ली के लोगों को तपती गर्मी, धूल और खतरनाक वायु प्रदूषण का सामना करना पड़ेगा। साथ ही भूजल स्तर गिर जाएगा, पानी का संकट और हीट वेव्स तीव्र होतीं जाएंगी। एक्सपर्ट्स चेतावनी भी दे रहे हैं कि खनन से बने गैप्स पहले से ही रेगिस्तानी हवाओं को प्रवेश दे रहे हैं। इससे दिल्ली-एनसीआर रेतीला और प्रदूषित हो सकता है, जैव विविधता नष्ट होगी और बाढ़-सूखे की घटनाएं बढ़ेंगे।
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