
- लखनऊ में भ्रष्टाचार में लिप्त रहे 50 से ज्यादा इंजीनियरों पर कार्यवाही , सैनिकों को परिषद देगा भारी छूट
लखनऊ। उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद अब आम जनता को सस्ते प्लॉट उपलब्ध कराने के साथ-साथ सैनिकों को फ्लैट खरीद में बड़ी राहत देने जा रही है। शुक्रवार को परिषद की 274वीं बोर्ड बैठक में कुल 62 प्रस्ताव रखे गए, जिनमें से 42 प्रस्तावों को मंजूरी दे दी गई। शेष प्रस्तावों पर अगली बोर्ड बैठक में निर्णय लिया जाएगा। बैठक में नई कास्टिंग गाइडलाइन लागू करने, भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई और नई आवासीय योजनाओं को लेकर अहम फैसले लिए गए।
बोर्ड बैठक में यह भी तय किया गया कि परिषद में भ्रष्टाचार में लिप्त रहे 50 से अधिक इंजीनियरों पर सेवानिवृत्ति के बाद भी कार्रवाई होगी। दोषी पाए गए अधिकारियों को पेंशन में 50 प्रतिशत तक कटौती समेत विभिन्न अनुशासनात्मक दंड का सामना करना पड़ेगा। परिषद का कहना है कि यह कदम पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
छोटे जिलों में विकास पर फोकस और सैनिकों को भी विशेष छूट
परिषद छोटे जिलों में नई आवासीय योजनाएं शुरू करने की तैयारी में है। मऊ, गाजीपुर और प्रतापगढ़ जैसे जिलों में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। प्रतापगढ़ में प्रस्तावित योजना के लिए लगभग 90 प्रतिशत भूमि का अधिग्रहण पूरा कर लिया गया है। इन योजनाओं के जरिए मध्यम और निम्न आय वर्ग को सस्ते प्लॉट और आवास उपलब्ध कराए जाएंगे। अधिकारियों के दावा है कि 2026 के अंत तक इन जिलों में योजनाएं कागजों से उतर कर धरातल पर आ जायेंगी।
बैठक में सैनिकों और अर्द्धसैनिक बलों को विशेष राहत देने का प्रस्ताव भी पास किया गया। अब सैनिकों को फ्लैट खरीद पर 20 प्रतिशत तक की छूट मिलेगी, जबकि आम नागरिकों को 15 प्रतिशत की छूट दी जाती है। आवास विकास सचिव नीरज शुक्ला ने बताया कि सैनिकों की तैनाती और छुट्टियों की समस्याओं को देखते हुए भुगतान की समय-सीमा भी बढ़ाई गई है। 60 दिनों में पूरा भुगतान करने पर सैनिकों को 20%, 61 से 90 दिनों में 15% और 90 से 120 दिनों में भुगतान करने पर 10% की छूट मिलेगी। निजी संस्था करेगी विकास नगर स्टेडियम की देख रेख ।
लखनऊ की आईटी सिटी में लंबे समय से बिक न पाने वाले सात भूखंडों के दाम घटाकर उन्हें ई-ऑक्शन में बेचा जाएगा। दाम कम होने से परिषद को करीब 300 करोड़ रुपये के राजस्व की उम्मीद है। वहीं, विकास नगर स्थित आवास विकास परिषद का फुटबॉल मैदान अब पीपीपी मॉडल पर निजी हाथों में दिया जाएगा। इसके लिए 10 साल की लीज पर ई-टेंडर निकाला जाएगा, जिसमें खिलाड़ियों से सरकारी दरों पर ही शुल्क लिया जाएगा।










