
UP SIR : उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की अंतिम समयसीमा शुक्रवार, 26 दिसंबर की रात 12 बजे समाप्त हो गई है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत, निर्धारित समय सीमा में फॉर्म जमा न करने वाले लगभग 2.89 करोड़ मतदाताओं के नाम अब वोटर लिस्ट से हटाए जाने की प्रक्रिया में हैं।
इन मतदाताओं में स्थानांतरित, मृत, डुप्लीकेट तथा अनुपस्थित मतदाता शामिल हैं। चुनाव आयोग का दावा है कि राज्य में करीब 90% वोटर मैपिंग पूरी हो चुकी है और अब कोई भी और विस्तार नहीं किया जाएगा। वहीं, 31 दिसंबर से शुरू हो रही दावा-आपत्ति प्रक्रिया के तहत मतदाता अपने नामों को पुनः जोड़ने या आपत्तियों के माध्यम से सुधार कर सकेंगे।
विशेष रूप से, सिद्धार्थनगर जिले में करीब 4 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटने की आशंका जताई जा रही है। प्रशासनिक आंकड़ों के अनुसार, जिले में 77,664 मृतक घोषित किए गए हैं, जबकि 1,04,768 मतदाता स्थानांतरित हुए हैं। इसके अलावा, जिले में 2 लाख 32 हजार मतदाता मैपिंग प्रक्रिया से बाहर हो गए हैं, जिनमें से अधिकांश कपिलवस्तु विधानसभा क्षेत्र के हैं। प्रशासन इस प्रक्रिया को सुधारने के लिए विशेष अभियान चलाने पर विचार कर रहा है ताकि पात्र मतदाताओं के नाम पुनः मतदाता सूची में शामिल किए जा सकें।
आगामी चुनाव के दृष्टिकोण से, 31 दिसंबर 2025 को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की जाएगी, जिसके बाद 31 दिसंबर 2025 से 30 जनवरी 2026 के बीच दावा-आपत्तियों की प्रक्रिया चलेगी। फिर, 28 फरवरी 2026 को यूपी की अंतिम मतदाता सूची जारी कर दी जाएगी।
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि प्रदेश में 15.4 करोड़ से अधिक मतदाताओं का डाटा पहले ही जुटाया जा चुका है। पहले की डेडलाइन 4 दिसंबर थी, जिसे दो बार बढ़ाकर अब अंतिम समय पर समाप्त किया गया। इस दौरान, करीब 2.91 करोड़ मतदाता फॉर्म नहीं भर सके थे, और अतिरिक्त 15 दिनों के भीतर केवल लगभग 10 लाख मतदाताओं ने ही फॉर्म भरा। नतीजतन, बड़ी संख्या में मतदाताओं का नाम मतदाता सूची से हटाने की तैयारी है।
आयोग ने कहा है कि 1.11 करोड़ मतदाताओं को नोटिस जारी किया जाएगा, जिसमें उन्हें अपनी पहचान और पात्रता साबित करने के लिए दस्तावेज जमा करने होंगे। इन दस्तावेजों में से कोई एक जमा कर वे अपने नाम को मतदाता सूची में जारी रख सकते हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, कुल 2.89 करोड़ मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए जाने की संभावना है, जिनमें 1.26 करोड़ स्थानांतरित, 46 लाख मृतक, 23.70 लाख डुप्लीकेट, 83.73 लाख अनुपस्थित और 9.57 लाख अन्य श्रेणी के मतदाता शामिल हैं।
राज्य की राजधानी लखनऊ में भी स्थिति चिंताजनक है, जहां कुल पंजीकृत मतदाता लगभग 39 लाख हैं। इनमें से लगभग 12 लाख, यानी 30%, अनकलेक्टेबल हैं, जिनमें 5.4 लाख डुप्लीकेट रजिस्ट्रेशन वाले वोटर और 4.3 लाख ऐसे हैं जो ट्रेस नहीं हो सके हैं। नोएडा और गाजियाबाद में भी करीब 3.5 लाख ‘अनमैप्ड’ वोटर पाए गए हैं। अधिकारियों ने कहा है कि इन मतदाताओं को नोटिस जारी कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
सभी इन आंकड़ों और प्रक्रियाओं के साथ, अब यह स्पष्ट हो चुका है कि SIR फॉर्म भरने की अंतिम सीमा समाप्त हो चुकी है और जिन मतदाताओं ने फॉर्म नहीं भरा है, उन्हें अब मतदाता सूची से हटाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इनमें वे मतदाता भी शामिल हैं जो स्थायी रूप से दूसरे स्थान पर चले गए हैं, मृतक हैं, या डुप्लीकेट नामों के रूप में पंजीकृत हैं। चुनाव आयोग की यह प्रक्रिया आगामी चुनावों में मतदाता सूचियों को अधिक सटीक और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से की जा रही है।










