
New Delhi : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गुरुवार को संताली भाषा में भारत के संविधान का औपचारिक लोकार्पण किया। यह संविधान संताली भाषा की अलचिकी लिपि में प्रकाशित किया गया है।
राष्ट्रपति मुर्मु ने इस अवसर पर राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह को सबोधित करते हुए कहा कि संताली समुदाय के लिए यह गर्व और हर्ष का विषय है कि अब भारत का संविधान उनकी अपनी भाषा और लिपि में उपलब्ध है। इससे संताली भाषी लोग संविधान को सीधे पढ़ और समझ सकेंगे। उन्होंने कहा कि संविधान की मूल भावना और उसके अनुच्छेदों को मातृभाषा में समझने का अवसर मिलना लोकतंत्र को और सशक्त बनाता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 2025 अलचिकी लिपि के शताब्दी वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है और ऐसे महत्वपूर्ण वर्ष में संविधान का अलचिकी लिपि में प्रकाशन अत्यंत सराहनीय है। उन्होंने इसके लिए केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री और उनकी टीम की प्रशंसा की।
अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम और बिहार में रहने वाले संताली समाज के लोग अब अपनी मातृभाषा और लिपि में लिखे गए संविधान के माध्यम से अपने अधिकारों और कर्तव्यों को बेहतर ढंग से समझ सकेंगे।
समारोह में उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन और केंद्रीय कानून एवं न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
उल्लेखनीय है कि संताली भाषा भारत की प्राचीन जीवित भाषाओं में से एक है। इसे संविधान के 92वें संशोधन अधिनियम, 2003 के माध्यम से आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था। यह भाषा मुख्य रूप से झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और बिहार में बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय द्वारा बोली जाती है।












