Sitapur : मनरेगा और 15वें वित्त में करोड़ों के घोटाले का आरोप

Reusa, Sitapur : रेउसा ब्लॉक एक बार फिर गंभीर आरोपों के चलते सुर्खियों में है। 15वें वित्त आयोग और मनरेगा कार्य योजना के तहत ब्लॉक में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किए जाने के आरोप सामने आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि ब्लॉक के खंड विकास अधिकारी की कथित साठगांठ से ग्राम पंचायतों में फर्जी मजदूरों की हाजिरी लगाकर सरकारी धन का दुरुपयोग किया जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार, मनरेगा में कार्यरत वास्तविक मजदूरों की पुरानी तस्वीरों को बार-बार अपलोड कर नया कार्य दिखाया जा रहा है। कई मामलों में तो मजदूरों के बिना काम किए ही फर्जी हाजिरी फोटो पोर्टल पर डाल दी जाती है। इतना ही नहीं, ब्लॉक के जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से रोजाना करोड़ों रुपये का भुगतान फर्जी मजदूरों के खातों में भेजा जा रहा है, जिसके बाद बंदरबांट की जा रही है।

ग्रामीणों का आरोप है कि गांवों में कच्चे रास्तों का निर्माण एक बार कराया जाता है, लेकिन उसी काम की पुरानी तस्वीरें हर साल दोबारा लगाकर कागजों पर नया कार्य दिखाया जाता है। इस तरह से बिना जमीनी कार्य के ही सरकारी धन निकाल लिया जाता है। बताया जा रहा है कि करीब 98 ग्राम पंचायतों में इसी तरह फर्जी काम दिखाकर भुगतान कराया गया है।

ग्रामीणों का कहना है कि मनरेगा योजना, जो गरीब और बेरोजगार मजदूरों के लिए जीवनरेखा मानी जाती है, उसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया गया है। वास्तविक मजदूरों को समय पर मजदूरी नहीं मिल पा रही है, जबकि फर्जी नामों पर पैसा निकाला जा रहा है। इससे सरकार की मंशा और योजनाओं पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि समय रहते जांच नहीं हुई तो भ्रष्टाचार का यह खेल और गहराता जाएगा। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन और शासन इस गंभीर मामले को कितनी गंभीरता से लेते हैं और दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है।

इस संबंध में जब डीसी मनरेगा चंदनदेव पांडेय से वार्ता की गई तो उन्होंने कहा कि वे मामले की जांच कर कार्रवाई करेंगे।

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